Read this article in Hindi to learn about the nine main types of interview. The types are: 1. Patterned Interview 2. Non-Directive Interview 3. Stress Interview 4. Board Interview 5. Group Interview  6. Exit Interview 7. Reference 8. Medical Check-Up 9. Placement. 

Type # 1. प्रतिरूपित साक्षात्कार (Patterned Interview):

प्रतिरूपित या निदेशित साक्षात्कार में, पहले से ही बतला दिया जाता है कि क्या प्रश्न पूछे जाने हैं और प्रार्थी कहाँ तक निश्चिततापूर्वक उन प्रश्नों का जवाब देगा । इस साक्षात्कार में पूछे जाने वाले प्रश्न प्रमापित होते हैं जिससे साक्षात्कारकर्त्ता किसी प्रकार के पक्षपात, समर्थन तथा पूर्व-धारणाओं से शामिल नहीं हो पाते ।

अधिकतर साक्षात्कारकर्त्ता प्रार्थी को अपने विचार अभिव्यक्त करने का अवसर प्रदान करते हैं वे केवल वार्तालाप को आगे बढ़ाते हैं और किसी प्रकार की आलोचना या समर्थन में भाग नहीं लेते । यह साक्षात्कार कुशल या अर्द्ध-कुशल कर्मचारियों के चयन के लिए ही अधिक उपयुक्त समीक्षा जाता है ।

Type # 2. अनिर्देशित साक्षात्कार (Non-Directive Interview):

अनिर्देशित साक्षात्कार में प्रश्न सीधे नहीं पूछे जाते हैं इस साक्षात्कार तकनीक में जो प्रश्न पूछा जाता है वह अधिकतर इस प्रकार होता है कि ”वर्तमान कार्य के बारे में उसे क्या अधिक पसन्द है ?”

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प्रतिरूप साक्षात्कार की भांति इस रूप में यह नहीं पूछा जाता है कि क्या उन्हें वर्तमान कार्य पसन्द हैं ? इसका उद्देश्य प्रार्थी की वर्तमान कार्य के प्रति धारणा को जानना होता है ।

Type # 3. प्रतिबल साक्षात्कार (Stress Interview):

यह साक्षात्कार तकनीक प्रार्थियों की उस योग्यता का परीक्षण करती है जिसके द्वारा प्रार्थी दबाव या प्रतिबल स्थितियों में कार्य करते हैं । हारेल (Harell) के मतानुसार, प्रतिबल साक्षात्कार में प्रार्थियों पर जानबूझकर किसी उद्देश्य को सामने रखकर दबाव डाला जाता है जिससे कि प्रार्थियों की जानबूझकर किसी उद्देश्य को सामने रखकर दबाव डाला जाता है जिससे कि प्रार्थियों की ‘भावनात्मक-सन्तुलन क्षमता’ (Emotional Balance Capacity) जो कि कुछ कार्यों के लिए अति आवश्यक होती है का परीक्षण व निर्धारण किया जा सके ।

इसमें प्रार्थियों पर सापेक्षिक रूप से अधिक भावनात्मक दबाव डाला जाता है जिससे कि उनके प्रत्युत्तरों (Responses) की जाँच की जा सके । इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्त्ताओं द्वारा प्रार्थी पर प्रश्नों की अति तेज बौछार-सी की जाती है तथा यह देखा जाता है कि वह अपने सन्तुलन को बनाए रखकर पूर्ण उत्तर देता है या नहीं ।

इसके अन्तर्गत जो प्रार्थी लम्बे समय तक पूछे गये प्रश्नों का धैर्यपूर्वक उत्तर दे देते हैं अर्थात् जो प्रार्थी इस दबाव या प्रतिबल के सामने टिक जाता है, उसको विशेष स्थान दिया जाता है ।

Type # 4. मण्डल साक्षात्कार (Board Interview):

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इस प्रकार की साक्षात्कार तकनीक में प्रार्थियों को अनेक साक्षात्कारकर्त्ता एक ही स्थिति में देखते हैं तथा उनकी योग्यताओं का निर्धारण करते हैं जिससे कि योग्यताओं के सम्बन्ध में निर्णयों के गलत होने की सम्भावनाएँ बहुत कम रह जाती है ।

इस तकनीक में चयन प्रक्रिया में लगने वाले समय की भी बचत होती है क्योंकि प्रार्थियों को एक-एक करके अनेक साक्षात्कारकर्त्ताओं के पास भेजना नहीं पड़ता है ।

Type # 5. समूह साक्षात्कार (Group Interview):

समूह साक्षात्कार में प्रार्थी अनेक तथा साक्षात्कारकर्त्ता एक होता है । समूह साक्षात्कार में पाँच या छ: प्रार्थियों को साक्षात्कार कक्ष में बिठा दिया जाता है तथा साक्षात्कारकर्त्ता उन प्रार्थियों के बीच विचार-विमर्श अर्थात् वार्तालाप को शुरू करने के लिए किसी समस्या पर कुछ विचार प्रस्तुत करता है तथा तत्पश्चात् प्रार्थीगण उस समस्या पर अपने-अपने मत अभिव्यक्त करते हैं ।

इसमें साक्षात्कारकर्त्ता यह देखता है कि कौन-सा प्रार्थी किस प्रकार किसी समस्या के सम्बन्ध में अपने विचार अभिव्यक्त करता है तथा किसी प्रार्थी से अन्य प्रार्थी के विचार अधिक प्रभावित करते हैं ।

Type # 6. बहिर्गमन साक्षात्कार (Exit Interview):

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साक्षात्कार की इस विधि में संस्था छोड़कर जाने वाले कर्मचारियों से संस्था की नीतियों एवं कार्यक्रम के सम्बन्ध में प्रश्न पूछे जाते हैं ताकि निकट भविष्य में इन प्रश्नों के आधार पर आवश्यक सुधार किए जा सकें । इसके अन्तर्गत कर्मचारी से प्रबन्ध कार्य की दशा, उन्नति के अवसरों, संस्था की कमियों आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जाती है ।

Type # 7. सन्दर्भ (Reference):

अधिकांशत: प्रार्थनापत्रों में दो या अधिक उत्तरदायी व्यक्ति के नाम व पते देने को कहा जाता है जो प्रार्थी को अच्छी तरह जानते हों और उसके सम्बन्ध में जानकारी देने को तैयार हों । इस प्रकार की जाँच करने से प्रार्थी के बारे में यह पता चलता है कि उसने जो सूचनाएँ स्वयं दी हैं, वह ठीक हैं । उच्च पदों पर नियुक्ति करने के लिए सन्दर्भों की जाँच जो बहुत महत्वपूर्ण होती है ।

Type # 8. डॉक्टरी परीक्षण (Medical Check-Up):

नियुक्ति से पूर्व प्रार्थी की डॉक्टरी परीक्षा इसलिए की जाती है जिससे इस बात की जानकारी प्राप्त हो जाए कि प्रार्थी इस पद के लिए शारीरिक रूप से योग्य है अथवा नहीं शारीरिक परीक्षा से यह पता लगाया जाता है कि प्रार्थी अधिक परिश्रम वाले कार्य को करने की क्षमता रखता है या नहीं ।

यदि कोई व्यक्ति किसी संक्रामक रोग या बीमारी का शिकार है या कमजोर है तो वह मेहनत एवं उत्साह से कार्य नहीं कर सकेगा तथा अन्य कर्मचारियों में भी उस रोग के फैलने का भय रहेगा । अत: इन सब कारणों के लिए डॉक्टरी परीक्षा करना अति आवश्यक है ।

Type # 9. कार्य पर नियुक्ति (Placement):

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जब किसी व्यक्ति का चुनाव कर लिया जाता है तब उसे उपयुक्त कार्य पर नियुक्त किया जाता है । उसे संस्था की नीतियों, लक्ष्यों नियमों आदि के सम्बन्ध में जानकारी दी जाती है, उसका अन्य सहयोगियों से परिचय कराया जाता है जिससे वह वहाँ अजनबी नहीं रहे ।

प्रारम्भ में किसी भी व्यक्ति को स्थायी रूप से नियुक्त नहीं किया जाता । इस अवधि में नियुक्त व्यक्ति के कार्य की जाँच की जाती है । यदि वह उपयुक्त नहीं है तो या तो उसे स्थानान्तरित कर दिया जाता है या निकाल दिया जाता है ।

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