Read this article in Hindi to learn about the position and role of human resource manager in a company.

रेखीय अधिसत्ता (Line Authority):

मानव संसाधन प्रबन्धक का दर्जा अपनाई जा रही संगठनात्मक संरचना पर निर्भर करके प्रत्येक संगठन में अलग-अलग होता है । रेखीय संगठन में, अधिसत्ता संगठन के शीर्ष से तली तक एक सीधी रेखा में चलती है ।

मानव संसाधन प्रबन्धक का Employment Officer, Training Officer, Wage Office, Welfare Officer तथा प्रत्येक ऐसे अधिकारी पर प्रत्यक्ष नियंत्रण होता है जो उनके नियंत्रण में काम करते हैं । मानव संसाधन या कार्मिक प्रबन्धक की अपने विभाग में रेखीय अधिसत्ता होती है तथा वह मुख्य प्रशासक के प्रति प्रत्यक्षत: जवाबदेह होता है ।

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जैसा नीचे चित्र में दिखाया गया है:

स्टॉफ अधिसत्ता (Staff Authority):

रेखीय स्टॉफ संगठन में मानव संसाधन प्रबन्धक को स्टॉफ विशेषज्ञ माना जाता

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है । उससे आशा की जाती है कि जहाँ भी अन्य विभागों द्वारा अपेक्षित हो कार्मिक मामलों में विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करें । एक विशेषज्ञ के रूप में, उसकी भूमिका परामर्शदात्री (Advisory) होती है ।

अन्य विभागों पर उसकी कोई रेखीय अधिसत्ता नहीं होगी जैसा आगे चित्र में दिखाया गया है:

उदाहरण के लिए रेखीय प्रबन्धक जैसे उत्पादन तथा विपणन प्रबन्धक अपने स्टॉफ की अग्रिम वेतन वृद्धियों स्थानान्तरणों तथा पदोन्नति आदि पर कार्मिक प्रबन्धक की सलाह लेते हैं ।

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लेकिन यह परामर्श उन पर बाध्यकारी नहीं होती क्योंकि कार्मिक प्रबन्धक के पास स्टॉफ या परामर्शदात्री पदस्थिति होती है । लेकिन मानव संसाधन प्रबन्धक (HR Manager) अपने विभाग में अधीनस्थों पर रेखीय अधिसत्ता का सुख भोगता है ।

एक स्टॉफ परामर्शदाता के रूप में मानव संसाधन प्रबन्धक (HR Manager as a Staff Advisor):

सामान्यत: कार्मिक कार्य (Personnel Function) औद्योगिक उपक्रमों में एक स्टॉफ विभाग के रूप में संगठित किया जाता है । लेकिन स्वयं विभाग के भीतर संरचना रेखीय प्रकृति की होती है ।

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चूंकि कार्मिक कार्य प्रत्येक प्रबन्धक के काम का अभिन्न अंग होता है अत: कार्मिक विभाग की उनके कार्मिक कार्यों के निष्पादन में उनकी सहायता करने तथा परामर्श देने के लिए स्थापना की जाती है ।

लेकिन यदि कार्मिक विभाग को रेखीय विभाग के रूप में बनाया जाता है तो इसके सृजन का उद्देश्य ही खो जायेगा क्योंकि प्रत्येक अन्य विभाग कार्मिक कार्य के सन्दर्भ में अपने उत्तरदायित्व की अवहेलना कर बैठेगा ।

कार्मिक प्रबन्धक के कार्य मुख्यत: मानव शक्ति की आपूर्ति के स्रोतों के सृजन, संभावित कर्मचारियों की प्रारम्भिक जाँच पड़ताल, कर्मचारियों का प्रशिक्षण तथा अभिप्रेरण, प्रत्येक कर्मचारी के रिकॉर्ड रखने तथा कार्मिक मामलों में सभी विभागों को परामर्श देना होता है ।

कार्मिक प्रबन्धक की इन विषयों के सम्बन्ध में स्टॉफ अधिसत्ता चलती है । उदाहरण के लिए वह एक जॉब विशेष के लिए किसी उम्मीदवार को चयन हेतु आगे बढ़ा सकता है जिसे हो सकता है विभागीय प्रबन्धक द्वारा स्वीकार न किया जाये । कार्मिक प्रबन्धक से आशा की जाती है कि उपक्रम में मानवीय संसाधनों के सम्बन्ध में सभी स्तरों पर रेखीय प्रशासकों की सहायता करें ।

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कर्मचारी प्रबन्धक में कुशल नेता वाली सभी योग्यताएँ होनी चाहिये जो उन प्रबन्ध को पूरे विश्वास के साथ रिपोर्ट कर सके तथा उनकी कार्मिक समस्याओं के समाधान हेतु उनकी सहायता की भावना से विभागीय अध्यक्षों के साथ बुद्धिमत्तापूर्वक बात कर सके ।

कार्मिक प्रबन्धक की कार्मिक विभाग के अन्दर एक रेखीय अधिसत्ता होती है । उपक्रम की आवश्यकताओं तथा क्षमताओं पर निर्भर होकर उसको संगठन के उद्देश्यों की अभिप्राप्ति हेतु सहायतार्थ और स्टॉफ दिया जा सकता है ।

मानव शक्ति नियोजन तथा प्राप्ति; प्रशिक्षण तथा विकास; मजदूरी तथा वेतन प्रशासन; औद्योगिक सम्बन्ध, आदि के लिए वह सहायक कार्मिक प्रबन्धक रख सकता है ।

सहायक कार्मिक प्रबन्धकों के अधीनस्थ काम करने वाला एक निचला स्टॉफ रहेगा । लेकिन कार्मिक विभाग का सर्वांगीण प्रबन्ध कार्मिक प्रबन्धक का ही दायित्व बना रहेगा । उसको कार्मिक विभागीय उद्देश्यों की अभिप्राप्ति के लिए अपने विभाग में अधिसत्ता को काम लेना होगा ।

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लेकिन अन्य सभी विभागों के सम्बन्ध में कार्मिक प्रबन्धक को एक स्टॉफ अधिकारी का दर्जा मिलता है जिसका काम है, जब भी उससे ऐसी अपेक्षा की जाये, विशिष्ट जानकारी के साथ अन्य विभागों को परामर्श प्रदान करें ।

क्रियात्मक अधिसत्ता (Functional Authority):

कार्मिक या मानव संसाधन प्रबन्धक की कार्मिक विभाग में रेखीय अधिसत्ता रहती है । रोजगार प्रशिक्षण मजदूरी तथा कल्याण अधिकारी सभी उसके प्रत्यक्ष निर्देशन तथा अधीक्षण में काम करते हैं ।

लेकिन एक क्रियात्मक विशेषज्ञ के रूप में, उसकी अन्य विभागों पर क्रियात्मक अधिसत्ता रहती है जहाँ भी कार्मिक नीतियाँ तथा गतिविधियों शामिल हों । एक क्रियात्मक विशेषज्ञ होने के कारण वह अन्य विभागों को विशेषज्ञ परामर्श तथा सेवा प्रदान करेगा जहाँ तक इन कार्मिक कार्यों का सम्बन्ध है ।

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