Read this article in Hindi to learn about the nine major roles of HR manager in a company. The roles are: 1. Policy Initiation 2. Advisory Role 3. Linking Pin Role 4. Representative Role 5. Decision-Making Role 6. Mediator Role 7. Leadership Role 8. Welfare Role 9. Research Role. 

1. नीति निर्धारक (Policy Initiation):

नीति निर्धारण तथा सृजन मानव संसाधन प्रबन्ध के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है । यह आवृत्तक प्रकृति की समस्याओं के समाधान की दृष्टि से या मानवीय संसाधन प्रबन्ध के क्षेत्र में आने वाले ऐसी सम्भावित समस्याओं को रोकने के विचार से होता है कि कम्पनी की नीतियों को ऐसे मौलिक सतही नियमों को कर्मचारियों को सम्प्रेषण हेतु बनाया जाता है जिसके अन्तर्गत संगठन काम करता है ।

मानव संसाधन प्रबन्धक मजदूरी तथा वेतन प्रशासन, स्थानान्तरण, मूल्यांकन, कल्याण गतिविधियाँ, मानव संसाधन अभिलेख तथा सांख्यिकी, कार्य वातावरण, आदि पर नीतियों के सृजन में उच्च प्रबन्धक की सहायता करता है ।

2. परामर्शदात्री भूमिका (Advisory Role):

मानव संसाधन प्रबन्धक की परामर्शदात्री भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है । रेखीय प्रबन्धकों का अपने रोजमर्रा के कामकाज में अनेक प्रकार की समस्याओं से सामना होता है । इन समस्याओं में शामिल हैं ओवरटाईम के वितरण पर, वेतन की वार्षिक वृद्धि, स्थानान्तरण, पदोन्नति आनुशासनात्मक कार्यवाही, आदि पर शिकायतें ।

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ऐसे सभी मामलों में मानव संसाधन प्रबन्धक उपयोगी सलाहें उपलब्ध करा सकता है क्योंकि उसको मानव संसाधन नीतियों तथा व्यवहारों, श्रम समझौतों, श्रम कानूनों आदि का ज्ञान होता है । वह बुलेटिनों, रिपोर्टों तथा नीतियों की समीक्षा तथा क्रियान्वयन के लिए प्रक्रियात्मक मार्गदर्शकों की रचना पर सलाह दे सकता है ।

3. श्रृंखला सूत्र की भूमिका (Linking Pin Role):

मानव संसाधन प्रबन्धक संगठन में अच्छे औद्योगिक सम्बन्धों की अभिप्राप्ति तथा अनुरक्षण के लिए प्रयत्न करता है । वह अनुशासन श्रम कल्याण, सुरक्षा, शिकायत आदि पर विभिन्न समितियों की स्थापना हेतु उत्तरदायी होता है । वह कर्मचारियों की शिकायतों के निदान शिकायत प्रक्रिया की व्यवस्था में सहायता करता है ।

वह उपक्रम की मानव संसाधन नीतियों तथा कार्यक्रमों के सम्बन्ध में यूनियन के नेताओं को अधिकृत सूचनाएँ प्रदान करता है । वह उच्च प्रबन्ध को ट्रेड यूनियन के नेताओं के विचारों से अवगत भी करता है । अत: प्रबन्ध तथा श्रमिकों के बीच एक कड़ी का काम करता है ।

4. प्रतिनिधिक भूमिका (Representative Role):

मानव संसाधन प्रबन्धक सामान्यत: उच्च प्रबन्ध के प्रवक्ता या कम्पनी के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है तथा ऐसी प्रबन्धकीय नीतियों तथा निर्णयों का संचार करता है जो संगठन में व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं ।

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यही कारण है कि उसको कम्पनी की गतिविधियों की सर्वांगीण छवि की अच्छी समझ होती है । कभी-कभी वह प्रबन्धक के सामने, विशेषत: गैर-यूनियनकृत संगठन में, उनकी समस्याओं को आगे रखकर श्रमिकों के प्रतिनिधि की भूमिका भी निभाता है ।

5. निर्णयन भूमिका (Decision-Making Role):

मानव संसाधन प्रबन्धक मानवीय संसाधनों से सम्बद्ध विषयों पर निर्णयन में भी एक प्रभावी भूमिका निभाता है । वह मानवीय संसाधन प्रबन्ध के उद्देश्यों तथा नीतियों एवं कार्यक्रमों की रचना तथा अभिकल्पना करता है ।

6. मध्यस्थ की भूमिका (Mediator Role):

मानव संसाधन प्रबन्धक बहुधा कर्मचारियों, या कर्मचारियों के समूहों, अधिकारी तथा अधीनस्थ तथा यहाँ तक कि प्रबन्ध तथा कर्मचारियों के बीच संघर्ष की दशा में एक मध्यस्थ की भूमिका निभाता है । अत: वह संगठन में औद्योगिक शान्ति तथा एकता बनाये रखने का प्रयास करता है ।

7. नेतृत्व भूमिका (Leadership Role):

मानव संसाधन प्रबन्धक श्रमिकों तथा उनके समूहों को नेतृत्व तथा मार्गदर्शन प्रदान करता है । वह संगठन में प्रभावी संचार की व्यवस्था करता है तथा संगठनात्मक उद्देश्यों में उनका सहयोग प्राप्त करने के लिए श्रमिकों को प्रभावित करता है । वह उनके काम तथा व्यक्तिगत समस्याओं पर श्रमिकों को परामर्श देकर एक परामर्शदाता के रूप में भी काम करता है ।

8. कल्याण भूमिका (Welfare Role):

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मानव संसाधन प्रबन्धक संगठन में एक कल्याण अधिकारी की भूमिका निभाता है । कल्याण अधिकारी के रूप में, वह कैन्टीन, शिशुगहों, परिवहन, अस्पताल तथा श्रमिकों एवं उनके परिवार के सदस्यों के लाभार्थ अन्य कल्याणकारी सेवाओं की व्यवस्था से जुड़ा रहता है ।

9. शोध भूमिका (Research Role):

मानव संसाधन प्रबन्धक एक संगठन में कार्यरत कर्मचारियों के रिकॉर्ड रखता है । रिकॉर्डों के आधार पर वह विभिन्न कार्मिक क्षेत्रों में शोध करता है जैसे अनुपस्थितिवाद, श्रम आवर्त्त, शराब पीना आदि तथा उच्च प्रबन्ध को सुधार हेतु उपयुक्त उपाय सुझाता है ।

उद्योग में मानव संसाधन प्रबन्धक की भूमिका तथा उद्योग व समाज में मानव संसाधन प्रबन्धक की सामाजिक भूमिका इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि किसी भी उत्पादकीय गतिविधि को पूरा करने के लिए कार्मिक अत्याज्य संसाधन होते हैं ।

Oliver Shaldon के शब्दों में- “No industry can be rendered efficient so long as the basic fact remains unrecognised that it is principally human. It is not mass of machines and technical processes but a body of men.”

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उद्योग में मानव संसाधन प्रबन्धक की भूमिका वातावरण की जटिल तथा गतिशील प्रकृति द्वारा रेखांकित की जाती है जिसके अन्तर्गत आधुनिक बड़े आकार के उद्योग काम करते हैं ।

संगठन की संरचना पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव, श्रमिक यूनियनों का राजनैतिकीरण तथा अपने अधिकारों के प्रति औद्योगिक कर्मचारियों की जागरूकता ने कार्मिक प्रबन्धक की भूमिका को किसी भी औद्योगिक संस्थान में और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है ।

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