Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning of Personnel Policies 2. Need for Personnel Policies 3. Objectives.

कर्मचारी नीतियाँ (Meaning of Personnel Policies):

नीतियाँ वे योजनाएँ हैं जो किसी संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किये जाने वाले निर्णयों की सीमा को निर्धारित करती हैं । नीतियाँ निर्णय लेने के लिए सामान्य निर्देशों का कार्य करती हैं । ये वे सीमाएँ निर्धारित करती हैं कि क्या किया जा सकता है तथा क्या नहीं ।

ऐसा करते समय यह ध्यान रखा जाता है कि नीतियाँ संस्था के उद्देश्य से प्राप्ति के मिलती जुलती हुई हों । अत: नीतियाँ वे मार्गदर्शक हैं जो संगठन के कार्यों को विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अच्छी तरह चलाने में सहायक होती हैं ।

योडर आर. टेरी के शब्दों में- ”यह एक ऐसा पूर्व निर्धारित तथा चुना हुआ मार्ग है, तो स्वीकृत उद्देश्यों की प्राप्ति में हमारा एक प्रदर्शन करता है ।”

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ग्रीन वुड के शब्दों में नीतियाँ- ”प्रत्यायोजन निर्णयन के लिए नियन्त्रक मार्गदर्शक होती है ।”

जेम्ब. बी. बॉमविक के शब्दों में- ”नीतियाँ संगठन के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाया गया एक विवरण पत्र है जो विभिन्न विभागों से सम्बन्धित हैं जैसे सेविवर्गीय, वित्त, उत्पादन, विपणन तथा अन्य विभाग ।”

अत: नीतियाँ क्रियाओं के नियम के रूप में कार्य करती हैं । नीतियाँ यह तय करती हैं कि कार्य को कैसे करना है वे अधीनस्थों को बाध्य नहीं करतीं । वे केवल सीमाएँ निर्धारित करती है जिनके अन्तर्गत कार्य किया जाना होता है । प्रबन्ध विभिन्न क्षेत्रों में नीतियाँ निर्धारित करता है; जैसे- कर्मचारी नीति, भर्ती नीति, कीमत नीति, विज्ञापन नीति आदि ।

जहाँ तक कर्मचारी नीतियों की बात है वे विशेषतौर पर कर्मचारियों से ही सम्बन्धित होती हैं । वे श्रमिकों को उनकी भूमिका को और स्पष्ट रूप से समझाने में मदद करती हैं । यह एक तरह से ऐसी योजना है जो संस्था को अपने कार्य करवाने में निर्देश प्रदान करती है ।

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सामान्यत: कर्मचारी नीतियाँ भर्ती, चुनाव, पदोन्नति, विकास, क्षतिपूर्ति अभिप्रेरण आदि से सम्बन्धित होती हैं । वे संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति का रास्ता इस तरह तय करती हैं जैसे विभिन्न सड़कें अन्तत: शहर तक पहुँच जाती हैं ।

रिचार्ड पी. फैल्हन के अनुसार- ”सेविवर्गीय नीतियाँ कार्य को रूप प्रदान करती है । ये सामान्य प्रमाप अथवा आधार प्रस्तुत करती हैं जिनके आधार पर निर्णय लिये जा सकें । उनका संगठन के मूल्यों, दर्शन विचार तथा उद्देश्यों से पाया जाता है ।”

ये नीतियाँ प्रबन्धकों का मार्गदर्शन करती हैं । इस प्रकार सेविवर्गीय नीतियाँ उन सिद्धान्तों से सम्बन्धित हैं जो विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करने, उन्हें पुन: परिभाषित करने तथा उपखण्ड बनाने तथा श्रम सम्बन्धों को सुदृढ़ बनाने में सहायक होती है ।

यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि नीतियाँ तथा उद्देश्य कार्य एवं सोच को प्रभावित करती हैं, लेकिन अलग-अलग तरीके से । उद्देश्य योजना का अन्त है जबकि नीतियाँ इस अन्त के लिए निर्णयों की मार्गदर्शिका हैं । इस तरह से सेविवर्गीय नीतियाँ प्रबन्धकों के लिए मार्ग-मानचित्र का कार्य करती हैं ।

सेविवर्गीय नीतियों की आवश्यकता (Need for Personnel Policies):

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नीतियाँ संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सामान्य नियमों के रूप में कार्य करती हैं । इसके अतिरिक्त नीतियाँ निर्णयों में तेजी लाने में मददगार होती हैं क्योंकि निम्न स्तर पर अधीनस्थों को बार-बार अपने उच्च स्तर से सम्पर्क नहीं करना पड़ता है ।

इसके अतिरिक्त निम्न कारणों से भी सेविवर्गीय नीतियों की आवश्यकता होती है:

1. नीतियाँ संस्था के कार्यों में एकरूपता बनाये रखने में मदद करती हैं । इसके द्वारा संस्था की विभिन्न क्रियाओं का आसानी से पता भी लगाया जा सकता ।

2. नीतियाँ उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप प्रदान करती हैं । ये विस्तारपूर्वक व्याख्या करती हैं तथा बताती हैं कि उन्हें कैसे प्राप्त किया जाना है ।

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3. नीतियाँ सभी कर्मचारियों से समान व्यवहार करती हैं । अत: पक्षपात को कम किया जाना नीति-निर्धारण से सम्भव हो जाता है ।

4. सही नीतियाँ कर्मचारियों के मनोबल को भी बढ़ावा देती हैं । यह उन्हें संस्था में बढ़ोतरी करने के लिए प्रेरित करती हैं ।

5. सेविवर्गीय नीतियाँ संस्था की सफलतापूर्वक कार्यवाही के लिए आधार का कार्य करती हैं ।

सेविवर्गीय नीतियों के उद्देश्यों (Objectives of Personnel Policies):

डब्ल्यू. सी. मोरिस (W. C. Morris) के अनुसार- नीतियाँ संस्था द्वारा स्पष्ट रूप से तय की गई बातें हैं यह संस्था के उद्देश्यों की स्पष्ट व्याख्या करती हैं तथा तय करती हैं कि उन्हें कैसे प्राप्त किया जाना है । यह अधीनस्थों को संस्था के लिए अवांछनीय कार्य करने से भी रोकती हैं । इसके अतिरिक्त वे अधीनस्थों को नीति अनुसार निर्णय लेने के लिए बाध्य करती हैं ।

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सामान्यत: नीतियों संस्था को निम्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए तय की जाती हैं:

1. नीतियाँ पूर्वनिश्चित होती हैं । अत: भविष्य में आने वाली समस्याओं को कम करती हैं । पूर्व निर्धारित नीतियाँ शीघ्र निर्णय लेने में मदद करती हैं । इससे समय तथा श्रम की बचत होती है ।

2. कर्मचारियों के निर्णयों में एकरूपता बनाये रखने के लिए नीतियाँ निर्णयों के लिए सीमाएँ तय करती हैं । अत: कर्मचारी इस बात के लिए तैयार रहते हैं कि संस्था की नीतियों के विपरीत कोई कार्य न किया जाए ।

3. संस्था के सभी प्रबन्ध स्तरों के लिए उचित नीति बनाकर सभी स्तरों पर योग्य मानव उपलब्ध करवाना ।

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4. कर्मचारियों में सहभागिता एवं अपनेपन की भावना उत्पन्न करना । यह कर्मचारियों को अधिकारों का भारार्पण करके किया जाता है । मानवीय सम्बन्धों को भी ध्यान में रखा जाता है ।

5. सभी विभागों के कर्मचारियों में सहयोग समझ एवं समन्वय उत्पन्न करना । इससे प्रबन्धकों को विभिन्न स्तरों पर समान निर्णय लेने में मदद मिलती है ।

6. कार्य सुरक्षा की भावना भी सकारात्मक नीतियों के द्वारा उत्पन्न की जाती है ।

7. कार्य पर संस्था के कर्मचारियों के विभिन्न हितों की रक्षा करना ।

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8. कर्मचारियों के विभिन्न प्रयासों को मान्यता देकर उन्हें प्रेरित करना । ऐसा उन्हें मौद्रिक एवं गैर-मौद्रिक प्रेरणाएँ देकर किया जाता है ।

9. संस्था के लिए व्यापक आधार प्रदान करना जिससे संस्था का नियमित विकास हो सके ।

सेविवर्गीय नीतियाँ सभी श्रमिकों से समान व्यवहार करती हैं, उन्हें मान्यता देती हैं । श्रमिकों के आर्थिक एवं सामाजिक हितों को ध्यान में रखती हैं । प्रशिक्षण प्रदान करके श्रमिकों का सम्पूर्ण विकास करने का भी प्रयास किया जाता है ।

नीतियाँ श्रमिकों में सन्तुष्टि एवं अभिप्रेरणा उत्पन्न करती है । अत: प्रबन्धकों को सभी स्तरों पर नीतियाँ लागू करनी चाहिए तथा ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें सही तरह से लागू किया जा रहा है या नहीं ।

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