Read this article in Hindi to learn about the retirement benefit schemes available to employees.

अवकाश ग्रहण/अन्तिम लाभ (Retirement/Terminal Benefits):

श्रम कल्याण, सामाजिक सुरक्षा कदम, अवकाश ग्रहण लाभ सभी उस योजना के अंग हैं जो कर्मचारी की वर्तमान तथा भावी आवश्यकताओं की सम्भव स्तर तक व्यवस्था करती हैं ।

कर्मचारी चूंकि अपनी तथा अपने परिवार की वर्तमान तथा भावी आवश्यकताओं के लिए पूरी तरह अपने सेवायोजक पर निर्भर करता है, यदि सामाजिक सुरक्षा उपायों को इसका अभिन्न अंग नहीं माना जाए तो यह पूर्ण नहीं होगा ।

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एक व्यक्तिगत श्रमिक को बीमारी, अयोग्यता, मातृत्व, मृत्यु अवकाश ग्रहण, छँटनी, निष्कासन तथा काम-बन्दी जैसी जोखिमों के लिए व्यवस्था करने की आवश्यकता होती है । सीमित साधनों वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह सम्भव नहीं है कि वह अकेले ही या अपने साथियों के सहयोग से इन सभी कठिनाइयों से निपट सके ।

अत: सामाजिक सुरक्षा को अनावश्यक कठिनाइयों के विरुद्ध सामूहिक गतिविधि द्वारा समाज के सदस्यों के बचाव की व्यवस्था करनी होगी । अवकाश ग्रहण लाभ सामाजिक सुरक्षा का अंग है । वर्तमान में भविष्य निधि, ग्रेच्युटी तथा पेंशन के लाभ उपलब्ध हैं लेकिन दुर्भाग्य से ये लाभ सभी को नहीं मिल पाते ।

लेकिन अनेक व्यक्ति इनका लाभ उठा रहे हैं । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् घटती हुई असमानताओं के साथ सामाजिक ढाँचे के समाज की स्थापना हमारे प्रयासों का एक भाग है तथा हर आँख के आंसू पौंछने की हमारी भावना का एक हिस्सा है । संगठित औद्योगिक श्रमिक इन प्रयासों के लाभगृहिता बने हैं लेकिन इस दिशा में असंगठित तथा ग्रामीण श्रमिकों के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है ।

कानून ने ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972 जैसे अधिनियमों के माध्यम से सेवायोजकों को अपने कर्मचारियों के हित देखने के लिए बाध्य किया है तथा कर्मचारियों के प्रति उनका यह दायित्व बनाया गया है कि लाभों की अनदेखी करके ग्रेच्युटी का भुगतान करें ।

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नीचे विभिन्न अवकाश ग्रहण लाभ योजनाओं का वर्णन किया जा रहा है:

कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 (Employees Provident Fund Scheme, 1952):

व्यक्तिगत कर्मचारी तथा अन्य श्रमिकों के भविष्य हेतु उनके अवकाश ग्रहण पर या उनकी मृत्यु की दशा में आश्रितों के लिए व्यवस्था की बात लम्बे समय से अनुभव की जा रही थी ।

कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, 1952 इस दिशा में एक सशक्त प्रयास है । अधिनियम में अनिवार्य भविष्य निधि, पारिवारिक पेंशन तथा कर्मचारी जमा युक्त बीमा योजना का उल्लेख किया गया है ।

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इस अधिनियम के उपबन्ध जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण भारत पर लागू होते हैं । यह उन सभी कारखानों पर लागू होता है जहाँ 20 व्यक्ति कार्य करते हैं । यह अधिनियम 500 रु. मासिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों पर लागू होता है ।

अधिनियम की सम्बद्ध धारा के अनुसार कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जाती है तथा सेवायोजक द्वारा उनकी भविष्य निधि में उतनी ही राशि का अंशदान किया जाता है । सेवायोजक तथा कर्मचारी द्वारा देय वैधानिक न्यूनतम भविष्यनिधि अंशदान दर मूल वेतन मँहगाई भत्ते का 8.33% हैं ।

वैसे 50 या अधिक व्यक्तियों को रोजगार दे रहे संस्थानों की 98 उद्योग श्रेणियों के सेवायोजक तथा कर्मचारी मूल वेतन आदि के 10% की ऊँची दर से अंशदान चुकाने के लिए बाध्य हैं ।

आश्रितों के विवाह, परिवार में बीमारी आदि के चिकित्सा व्ययों आदि हेतु अपने खाते में क्रेडिट राशि से कर्मचारी ऋण भी ले सकता है लेकिन भावना या उद्देश्य यही है कि कर्मचारी को अवकाश ग्रहण या मृत्यु पर 

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एकमुफ्त राशि मिल सके ।

अधिनियम उपयुक्त सरकार को विभिन्न अधिकार देता है जैसे निरीक्षकों की नियुक्तियाँ स्वीकार करना, आदि । यदि यह गैर अंशदायी भविष्य निधि है कि तो नियोक्ता इसमें कुछ भी अंशदान नहीं करता । इस प्रकार यह कर्मचारी के लिए बचत का एक बलात् साधन है ।

कर्मचारी पारिवारिक पैंशन योजना, 1971 (Employee Family Pension Scheme, 1971):

कर्मचारी भविष्य निधि तथा विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के अन्तर्गत कर्मचारी पारिवारिक पैंशन योजना 1 मई, 1971 से लागू हुई । यह योजना उन सभी संस्थानों पर लागू होती है जिन पर यह अधिनियम लागू होता है ।

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कर्मचारी भविष्य निधि का प्रत्येक सदस्य मार्च 1971 को या इसके पश्चात् (जब तक कि वह लाभ निकाले लाने के लिए अधिकृत नहीं हो जाता या मर नहीं जाता) इसके अन्तर्गत आ जाता है ।

यह योजना कर्मचारी के भविष्य निधि योगदान से कर्मचारियों के वेतन का 1 % तथा सेवायोजक के भविष्य निधि अंशदान का 1 % अन्तरित करके वित्तीय प्रबन्धित की जाती है । केन्द्रीय सरकार भी सदस्यों के वेतन के 1 % की दर से पारिवारिक पैंशन कोष में अंशदान करती है ।

इस योजना से प्रदत्त लाभ हैं : पारिवारिक पैंशन, जीवन बीमा तथा अवकाश ग्रहण-निवासी लाभ पारिवारिक पैंशन की दरें रु 250 से रु 1050 प्रतिमाह होती हैं जो मृत्यु के समय सदस्य के वेतन पर निर्भर करती है । इसके अतिरिक्त रु 5,000 की  एकमुफ्त राशि पारिवारिक पैंशन के प्रथम प्राप्तकर्त्ता को दी जाती है ।

जब किसी सदस्य की मृत्यु पर पारिवारिक पैंशन देय होती है तो उसकी विधवा अपनी मृत्यु तक पेंशन प्राप्त कर सकती है या यदि वह पुनर्विवाह कर लेती है तो उसके सबसे बड़े जीवित अवयस्क बेटे को तब तक दी जायेगी जब तक वह 18 वर्ष का नहीं हो जाता या उसकी सबसे बड़ी जीवित अविवाहित बेटी 21 वर्ष की नहीं हो जाती या विवाह नहीं कर लेती ।

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जीवित सदस्य अवकाश ग्रहण-निष्कर्ष लाभों सहित रु 110 से रु 400 तक (सदस्यता के पहले वर्ष में) तथा रु 9,000 से रु 19,825 तक (40 वर्ष की सदस्यता के लिए) पाने का अधिकार रखते हैं जो सदस्य की मृत्यु के समय के वेतन पर निर्भर करेगी ।

कर्मचारी जमायुक्त योजना, 1976:

कर्मचारी भविष्य निधि तथा विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के अन्तर्गत कर्मचारी जमायुक्त बीमा योजना 1976 के प्रथम दिन से लागू हुई । यह योजना सभी कारखानों तथा अन्य उन संस्थानों के कर्मचारियों पर लागू होती है जिन पर यह अधिनियम लागू होता है ।

सेवा में रहते किसी कर्मचारी की मृत्यु पर भविष्य निधि संचितियों को प्राप्त करने वाले व्यक्ति एक अतिरिक्त राशि विगत 12 माह के दौरान मृतक के भविष्य निधि खाते में औसत शेष के बराबर राशि पाने के लिए अधिकृत हैं परन्तु मृतक सदस्य के खाते में औसत शेष रु 500 से कम नहीं होना चाहिए और जहाँ औसत शेष रु 15,000 से अधिक है तो देय राशि रु 15000 + रु पन्द्रह हजार के अधिकतम वाली राशि के 25% के बराबर होगी । लेकिन रु 25000 से अधिक नहीं होगी ।

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ग्रेच्युटी (Gratuity):

भविष्य निधि वृद्धावस्था के लिए बचत का एक साधन है जबकि ग्रेच्युटी कर्मचारी द्वारा प्रदत्त सेवा हेतु अर्जित सेवा निवृत्ति लाभ है । प्राचीन काल में जो कर्मचारी अपने स्वामी की अच्छी सेवा करता था, उसे अवकाश-ग्रहण के समय नकद या वस्तु के रूप में उपहार देने की प्रथा प्रचलित थी ।

यह स्वामी के अनुग्रह का संकेत माना जाता था तथा कर्मचारी की वृद्धावस्था की आवश्यकताओं की व्यवस्था मात्र थी । परन्तु वर्तमान समय में ग्रेच्युटी को कर्मचारी की ओर से एक उचित दावा माना जाने लगा है, जिसे कर्मचारी रख सकता है ।

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 ग्रेच्युटी के भुगतान की व्यवस्था करता है जो कुछ दशाओं में अनिवार्य की जा चुकी है । अधिनियम कर्मचारी को कम-से-कम पाँच वर्षों की सेवा के पश्चात् ग्रेच्युटी के भुगतान की व्यवस्था करता है ।

मजदूरी की अधिनियम सीमा रु 3,500 जो पहले अधिनियम में थी अब समाप्त की जा चुकी है तथा मजदूरी की अधिकतम सीमा हटाये जाने के कारण प्रत्येक व्यक्ति अपने मजदूरी स्तर की अनदेखी करके अब ग्रेच्युटी के लिए अधिकृत हो गया है ।

प्रत्येक पूर्ण सेवा वर्ष अथवा उसके 6 माह से अधिक के भाग के लिए 15 दिन की मजदूरी (मूल वेतन + महंगाई भत्ता) की दर से ग्रेच्युटी दी जाती है । अधिकतम सीमा 20 माह का वेतन है जो रु 1,00,000 में अधिक होनी चाहिए । जो मालिक ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं करता उसको दण्डित किया जायेगा ।

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कर्मचारी के द्वारा किए गए किसी दुराचरण के कारण स्वामी को होने वाली क्षति को कर्मचारी को देय ग्रेच्युटी की राशि से काटा जायेगा । इस प्रकार सभी कर्मचारियों को उपार्जित होने वाला, अगला अनुग्रह लाभ ग्रेच्युटी है, स्वामी को इसके लिए व्यवस्था करनी होती है तथा लाभ हों या न हो, इसे देना अनिवार्य है ।

भविष्य निधि कर्मचारी के खाते में जमा होने वाली एकमुफ्त चुकाई जाने वाली राशि है जबकि पैंशन उसके लिए एक नियमित सतत लाभ है और इस प्रकार यह व्यापक रूप से भविष्य निधि को पूरित करता है ।

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