Read this article in Hindi to learn about the process of promotion, demotion and transfer of employees.
पदोन्नति (Promotion):
पदोन्नति से अभिप्राय कर्मचारी की उन्नति अथवा प्रगति से है । यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत कर्मचारी को उच्च पद की जिम्मेदारी सौंपी जाती है । पदोन्नति से कर्मचारी के स्तर में भी वृद्धि होती है । सामान्यत: कर्मचारी के स्तर के साथ उसके वेतन में भी वृद्धि होती है । पदोन्नति कर्मचारी की वफादारी एवं कार्यकुशलता का पुरस्कार अथवा ईनाम है ।
पदोन्नति का अर्थ कर्मचारी को अधिक आय, उच्च स्तर एवं अधिक जिम्मेदारी वाला पद सौंपना है । पदोन्नति से अभिप्राय कर्मचारी की संख्या में जॉब पर प्रगति से है जहाँ उसे बेहतर वेतन, स्तर, चुनौतियाँ, कार्य वातावरण, सुविधाएँ एवं जिम्मेदारियाँ मिलेंगी ।
अत: पदोन्नति एक कर्मचारी की उच्च स्तर पर प्रगति है जहाँ पर उसके कौशल ज्ञान एवं सेवाओं का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा । किन्तु सभी पदोन्नतियों में से सभी गुण नहीं पाए जाते । कई बार पदोन्नति में उच्च प्रतिष्ठा, बेहतर हैसियत व अधिक जिम्मेदारी तो मिलती है पर वेतन में वृद्धि नहीं ।
ऐसी पदोन्नति को ‘शुष्क पदोन्नति’ (Dry Promotion) कहा जाता है । इसी प्रकार, कभी-कभी कर्मचारी की वेतन वृद्धि तो कर दी जाती है परन्तु उच्च पद, बेहतर प्रतिष्ठा व जिम्मेदारी नहीं मिलती, इसे अपग्रेडेशन (Upgradation) कहा जाता है ।
अत: पदोन्नति कर्मचारी की कार्यकुशलता एवं संगठन के प्रति वफादारी का पुरस्कार है । यह कर्मचारी की ऐसे पद पर प्रगति है जहाँ पर उसके ज्ञान कौशल एवं सेवाओं का बेहतर प्रयोग हो सकेगा ।
पदोन्नति की परिभाषाएँ (Definitions of Promotion):
पदोन्नति को विभिन्न विद्वानों द्वारा अलग-अलग तरह से परिभाषित किया है ।
पदोन्नति की कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:
1. पाल पिगर्स एवं चार्ल्स मेयर के अनुसार- ”पदोन्नति से अभिप्राय एक कर्मचारी को बेहतर जॉब/कार्य पर उन्नति/तरक्की से है, जिस पर कि अधिक उत्तरदायित्व अधिक प्रतिष्ठा या स्तर, अधिक कौशल तथा विशेष रूप से बढ़ी हुई वेतन दर होती है ।”
2. स्कॉट एवं स्प्रीगल के अनुसार- ”पदोन्नति किसी कर्मचारी का ऐसे कार्य पर स्थानान्तरण है जिस पर वह अधिक धन अथवा बेहतर वरीयता वाले स्तर का उपभोग करता है ।”
3. फिलप्पो के अनुसार- ”पदोन्नति किसी में एक कार्य से दूसरे कार्य पर परिवर्तन शामिल है जो ऐसे बेहतर स्तर एवं उत्तरदायित्व प्रदान करता है ।”
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि पदोन्नति में निम्नलिखित तीन तत्त्व (Elements) सम्मिलित हैं:
1. बेहतर कार्य एवं स्तर,
2. अधिक उत्तरदायित्व व
3. अधिक वेतन ।
पदोन्नति के उद्देश्य (Objectives of Promotion):
संस्था में कर्मचारियों की पदोन्नति निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु की जाती है:
1. संस्था में कर्मचारी को उस जगह नियुक्त करना जहाँ उसके ज्ञान एवं कौशल का अच्छा उपयोग किया जा सके ।
2. कर्मचारी को उसकी दीर्घकालीन सेवाओं के प्रतिफल में पुरस्कार देना ।
3. श्रेष्ठ योग्यता वाले कर्मचारी को संस्था में बनाए रखना ।
4. वर्तमान कर्मचारियों की योग्यताओं एवं क्षमताओं का पर्याप्त उपभोग करना ।
5. कर्मचारियों में श्रम बदली दर को रोकना व उन्हें स्थायी रूप से बनाए रखना ।
6. संस्था के आंतरिक स्रोत की योग्यता में विकास करना जिससे कर्मचारी पदोन्नति की आशा से अपनी योग्यता में वृद्धि तथा अपना कार्य स्तर सुधारने का प्रयास करते हैं ।
7. कर्मचारियों में संस्था के प्रति अपनत्व की भावना का विकास करना ।
8. संस्था में रिक्त उच्च पदों की पूर्ति करना ।
9. प्रशिक्षण के व्यय में कमी करना ।
10. कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि करना ।
11. संस्था में योग्य, प्रशिक्षित एवं कुशल व्यक्तियों को आकर्षित करना ।
12. नियोक्ता एवं कर्मचारियों के मध्य मधुर संबंध स्थापित करना ।
पदोन्नति के तत्त्व (Elements of Promotion):
पदोन्नति की विभिन्न परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर यह स्पष्ट है कि इसके निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं:
1. प्रगति (Advancement):
पदोन्नति में संगठनात्मक ढांचे को उच्च स्तर के पद पर पहुँचना शामिल है । यह एक कर्मचारी के निम्न स्तर के पद से उच्च स्तर के पद पर पहुँचने की प्रक्रिया है । इससे कर्मचारी के स्तर में वृद्धि होती है ।
2. अधिक वेतन (Better Salary):
प्रमोशन का एक अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्व, कर्मचारी को अधिक आय अथवा वेतन में लाभ है । परन्तु कभी-कभी कर्मचारी को उच्च पद एवं जिम्मेदारी तो सौंप दी जाती है पर वेतन वृद्धि नहीं की जाती है । इससे ‘शुष्क पदोन्नति’ कहा जायेगा । इसी प्रकार अपग्रेडेशन में कर्मचारी के वेतन में वृद्धि कर दी जाती है परन्तु उसे उच्च पद एवं जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाती ।
3. बेहतर जिम्मेदारी, प्रतिष्ठा एवं पद (Greater Responsibility, Prestige and Status):
पदोन्नति से कर्मचारी की जिम्मेदारी, प्रतिष्ठा एवं पद में वृद्धि होती है । यह एक ऐसा पद है जिसके साथ बेहतर प्रतिष्ठा एवं उच्च जिम्मेदारी जुड़े होते हैं ।
4. अन्य तत्त्व (Other Elements):
पदोन्नति के अन्य तत्त्वों में बेहतर सुविधाएं, अच्छी कार्य दशाएँ, उच्च पद की चुनौतियाँ, कौशल, ज्ञान व गुणों के बेहतर उपयोग के अवसर एवं कर्मचारी का विकास शामिल है ।
पदोन्नति नीति के आवश्यक तत्व (Essentials of a Promotion Policy):
पदोन्नति नीति संस्था की सेविवर्गीय नीति का एक भाग है । यह संगठन में कर्मचारियों की पदोन्नति करने में मार्गदर्शन करती है । यह भविष्य में होने वाली कई समस्याओं को रोकने में मदद करती है ।
एक अच्छी पदोन्नति नीति के निम्नलिखित आवश्यक तत्त्व हैं:
(1) पदोन्नति नीति लिखित होनी चाहिए ।
(2) भविष्य में समस्या से बचने के लिए इसे कर्मचारियों में उचित तरीके से सम्प्रेषित किया जाना चाहिए ।
(3) पदोन्नति नीति में यह स्पष्ट होना चाहिए कि संस्था में रिक्त उच्च पद को आन्तरिक स्रोतों से भरा जायेगा अथवा बाह्य स्रोतों से ।
(4) नीति में, पदोन्नति के आधार का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए । पदोन्नति का आधार-वरिष्ठता,एवं योग्यता, होना चाहिए ।
(5) यदि रिक्त पदों में से कुछ पद अनुसूचित जाति व जनजाति अथवा पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित हों तो उन पदों का स्पष्ट वर्णन होना चाहिए ।
(6) योग्यता के आधार पर पद्धति स्पष्ट एवं निष्पक्ष होनी चाहिए ।
(7) सेवा अवधि अथवा वरिष्ठता के निर्धारण के नियम व तरीके स्पष्ट होने चाहिए ।
(8) पदोन्नति के बाद प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रम की व्यवस्था होनी चाहिए ।
(9) पदोन्नति नीति को सभी कर्मचारियों पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए । इसे लागू करने में किसी प्रकार का भेद-भाव एवं पक्षपात नहीं होना चाहिए ।
राष्ट्रीय श्रम आयोग (National Commission for Labour) की सिफारिशें हैं कि पदोन्नति नीति को श्रम संघों के साथ विचार-विमर्श के बाद निर्धारित किया जाना चाहिए । इस आयोग ने सिफारिश की निम्न स्तरों पर पदोन्नति वरिष्ठता के आधार की जानी चाहिए ।
मध्यम स्तरीय प्रबन्ध पर पदोन्नति के लिए वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार को अपनाना चाहिए । उच्च स्तरीय प्रबन्ध पर पदोन्नति केवल योग्यता के आधार पर की जानी चाहिए । राष्ट्रीय श्रम आयोग की उपरोक्त सिफारिशों में कुछ कमियाँ हैं । अत: पदोन्नति वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर होनी चाहिए ।
पदावनति (Demotion):
पदावनति पदोन्नति के बिल्कुल विपरीत है । यह एक तरह का स्थानांतरण है जिसमें कर्मचारी को उसके वर्तमान स्तर से निम्न स्तर का कार्य सौंपा जाता है । पदावनति से अभिप्राय है वेतन में कमी, लाभांश, स्तर एवं जिम्मेदारी में कटौती ।
यह एक निम्न स्तर पर लाने वाली प्रक्रिया है एवं कर्मचारी के लिए अपमान है । प्रबन्ध साधारणतया कर्मचारियों की पदावनति करने की अपेक्षा उन्हें सेवा-मुक्त करने को प्राथमिकता देता है । इस विधि का नियोक्ताओं द्वारा बहुत कम प्रयोग किया जाता है ।
कर्मचारियों को अपरिहार्य कारणों (Unavoidable Reasons) से पदावनति किया जा सकता है । उन्हें संगठन में आधुनिकीकरण के परिणामस्वरूप पदावनति किया जा सकता है । आधुनिकीकरण के परिणामस्वरूप, संगठन में नई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है ।
यदि कर्मचारी अपने वर्तमान कार्य को अच्छे से पूरा नहीं कर पाता है तो उसकी संगठन में ऐसी कार्य पर पदावनति कर दी जाती है जहाँ उसकी सेवाओं का बेहतर उपयोग हो सके ।
नई तकनीक के प्रयोग से श्रम-शक्ति की आवश्यकता कम हो जाती है । इसके परिणामस्वरूप, जूनियर कर्मचारियों का संगठन से पृथक्करण (Separation) किया जा सकता है । कुछ लोगों को संगठन में निम्न पदों पर पुन: नियुक्त कर लिया जाता है ।
कई बार बाजार में निम्न माँग की दशाओं के अन्तर्गत कुछ उत्पादों को बन्द करने एवं कुछ विभागों का विलय (Merge) करने का निर्णय लेता है । कुछ कर्मचारियों को संगठन छोड़ने अथवा निम्न पदों पर काम करने का अवसर दिया जाता है ।
उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट है कि कर्मचारी की पदावनति के निम्नलिखित कारण है:
1. गलत नियुक्तियों का संशोधन करना (Rectifying Misplacements),
2. वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति प्राप्त कर्मचारी का अनुकूल न होना (Unsuitability of the Employee Promoted on the Basis of Seniority),
3. निम्नतर व्यवसायिक दशाएँ (Recessionary Business Conditions),
4. कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही (Disciplinary Action Against-Employee) ।
संगठन में पदावनति के परिणाम हैं : कर्मचारियों में रोष, कार्य असन्तुष्टि, अनुपस्थिति एवं श्रम बदली दर में वृद्धि, कर्मचारियों के कैरियर पर बुरा प्रभाव, अधिक शिकायतें एवं त्याग पत्र आदि । पदावनति का निर्णय गंभीर परिस्थितियों में ही लिया जाना चाहिए ।
पदावनति की समस्या को एक उचित एवं सुनियोजित नीति द्वारा कम किया जा सकता है । पदोन्नति नीति में इसके कारणों का स्पष्ट वर्णन होना चाहिए । इसके लिए एक योग्य व्यक्ति को अधिकृत किया जाना चाहिए । एक सम्भव पदावनति नीति से संगठन में अच्छे औद्योगिक संबंधों का निर्माण किया जा सकता है ।
स्थानान्तरण (Transfer):
स्थानान्तरण (Transfer) से आशय है कर्मचारी को समान वेतन, समान प्रतिभा, समान उत्तरदायित्व, समान कार्य-दशाएँ, समान स्तर वाले पद पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना ।
डेल योडर के अनुसार- ”स्थानान्तरण से अभिप्राय किसी कर्मचारी को एक कार्य से दूसरे कार्य पर भेजना है, ऐसे कार्य परिवर्तन से कर्मचारी के उत्तरदायित्व एवं क्षतिपूर्ति में कोई विशेष अन्तर नहीं पड़ता है ।”
साधारण शब्दों में, स्थानान्तरण ऐसे कार्यों के मध्य होता है जिन पर समान वेतन मिलता है, इससे उत्तरदायित्व व क्षतिपूर्ति में कोई विशेष अन्तर नहीं पड़ता है । एक बड़ी संस्था में स्थानान्तरण एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है ।
इसके अन्तर्गत एक कर्मचारी को एक कार्य से दूसरे कार्य, एक विभाग से दूसरे विभाग (Department), एक इकाई (Unit), से दूसरी इकाई व एक संयन्त्र (Plant) से दूसरे संयन्त्र में कार्य के लिए भेजा जाता है । इसका प्राथमिक उद्देश्य संस्था की प्रभावपूर्णता में वृद्धि करना है ।
स्थानान्तरण संस्था की सुविधा के लिए अथवा कर्मचारी की प्रार्थना पर भी किया जा सकता है । इसके सम्बन्ध में यह अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए कि बार-बार एवं शीघ्र स्थानान्तरण करने से संस्था के वातावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।
अत: यह निश्चित किया जाना चाहिए कि कर्मचारी का किन परिस्थितियों में स्थानान्तरण किया जा सकता है । इसका स्पष्टीकरण संस्था को अपनी स्थानान्तरण नीति (Transfer Policy) में करना चाहिए ।