Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning and Definition of Manpower Planning 2. Characteristics of Manpower Planning 3. Need 4. Scope 5. Significance 6. Objectives 7. Problems.  

Contents:

  1. मानव शक्ति नियोजन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Manpower Planning)
  2. मानव शक्ति नियोजन की विशेषताएँ (Characteristics of Manpower Planning)
  3. मानव-शक्ति नियोजन की आवश्यकता (Need for Manpower Planning)
  4. मानव-शक्ति नियोजन का क्षेत्र (Scope of Manpower Planning)
  5. मानव शक्ति नियोजन का महत्व (Significance of Manpower Planning)
  6. मानव शक्ति नियोजन के उद्देश्य (Objectives of Manpower Planning)
  7. मानव संसाधन नियोजन में समस्याएँ (Problems in Human Resource Planning)


1. मानव शक्ति नियोजन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Manpower Planning):

किसी भी व्यावसायिक तथा औद्योगिक संस्था में, चाहे वह छोटे आकार की हो अथवा बड़े आकार की हो मानव शक्ति नियोजन आवश्यक है । मानव शक्ति नियोजन में सही योग्यता (Right Ability), सही समय (Right Time) सही स्थान (Right Place), सही स्तर (Right Level) तथा सही वेतन (Right Salary) पर ध्यान देना होता है ।

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ऐसा होने से कर्मचारियों को कार्य सौंपते समय कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि उनकी दक्षता को ध्यान में रखकर उनका चुनाव किया गया है ।

मानव शक्ति नियोजन का तात्पर्य किसी व्यावसायिक संस्था में सही समय पर सही कर्मचारियों को उपलब्ध कराना है जिससे कर्मचारियों के अभाव में उस व्यावसायिक संस्था का काम भी न रुक सके और कर्मचारियों की अधिकता के कारण काम की लागत भी अधिक न हो ।

प्रत्येक पद के कार्य तथा उसके निष्पादनकर्त्ता की योग्यता में अनुरूपता लाने के लिए ही मानव शक्ति नियोजन की आवश्यकता पड़ती है । यदि अत्यधिक योग्यता वाले व्यक्ति को किसी सामान्य कार्य को करने के लिए नियुक्त कर दिया जाए तो ऐसे पद पर उसकी योग्यता का दुरुपयोग होगा तथा संस्था एवं कर्मचारी दोनों को ही हानि होगी ।

इसी प्रकार यदि किसी कम योग्य व्यक्ति को अधिक योग्यता वाले पद पर नियुक्त कर दिया जाये तो वह उस पद के अनुरूप कार्य का सुचारु रूप से संचालन नहीं कर सकेगा । अत: प्रत्येक संस्था में मानव शक्ति का नियोजन होना परम आवश्यक है ।

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मानव शक्ति नियोजन की विषय-वस्तु के अन्तर्गत जनशक्ति एवं उसका पूर्वानुमान लगाना, उपलब्धि के क्षेत्रों को खोजना आदि आते हैं । मानव शक्ति नियोजन के महत्व को स्पष्ट करते हुए डॉ. राम तरनेजा ने लिखा है कि व्यवस्थित मानव-शक्ति नियोजन के द्वारा प्रबन्ध श्रम लागत को नियंत्रित कर सकता है तथा मानव शक्ति के आधिक्य तथा कमी को दूर कर सकता है ।

मेयर ने तो मानव-शक्ति नियोजन का व्यवसाय की सफलता से प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापित किया है । उनके अनुसार- ”मानव शक्ति स्रोत का क्षमतापूर्ण उपयोग आने वाले समय में व्यावसायिक जगत की सफलता के लिए महत्वपूर्ण निर्णायक कार्य करेगा । मैं सोचता हूँ कि भविष्य में वही कम्पनियाँ सफल होंगी जो मानव शक्ति का पूर्ण और अच्छा उपयोग करेंगी ।”

मानव शक्ति नियोजन एक व्यापक शब्द है जिसकी परिभाषा देते हुए विभिन्न विद्वानों ने लिखा है:

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(i) गीस्लर (Geisler) के अनुसार- ”मानव शक्ति नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया है (जिसमें पूर्वानुमान करना, क्रियान्वित करना तथा नियन्त्रण करना भी शामिल है) जिसके द्वारा एक फर्म ऐसी विश्वसनीय कार्यवाही करती है कि उसके पास सही किस्म के कर्मचारी सही समय पर सही संख्या में, सही स्थानों पर वह कार्य करने के लिए उपलब्ध हैं, जिनके लिए वे आर्थिक रूप से सबसे अधिक उपयोगी हों ।”

(ii) डेल योडर के अनुसार- “कर्मचारी व्यवस्था-सम्बद्ध नीति सामान्यत: यह धारण रखती है कि संगठन की वर्तमान एवं भावी मानवीय आवश्यकताओं की व्याख्या उसके गुण, स्तर एवं संस्था के संदर्भ में की जायेगी । जहाँ तक संभव होगा, आवश्यकताओं का पूर्वानुमान किया जायेगा ताकि अवश्यकतानुसार मानव शक्ति उपलब्ध हो सके ।”

(iii) रुद्राबसावराज के अनुसार- ”मानव शक्ति नियोजन को उपक्रम के लिए मानव संसाधन प्राप्त करने, उपयोग करने, सुधार करने तथा बनाये रखने के लिए एक व्यूहरचना के रूप में परिभाषित किया जा सकता है ।”

(iv) फिन्कले तथा जोन्स विलियम के अनुसार- ”मानव शक्ति नियोजन से आशय मानव उपयोग के निर्णयों के विस्तार के लिए किया गया कोई भी कार्य या प्रक्रिया है जिसके द्वारा संगठन में मानव स्रोत का अधिकतम सुधार किया जा सके ।”

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(v) एल. हाल के अनुसार- ”मानव शक्ति नियोजन की आवश्यकता योग्य कर्मचारियों को वांछित संख्या में भर्ती करने के लिए होती है । ऐसी भर्ती न केवल पुराने कर्मचारियों की मृत्यु, सेवानिवृत्ति या त्यागपत्र देने के कारण करनी पड़ती है अपितु व्यवसाय के विस्तार, नये बाजारों के विकास आदि कारणों से उत्पन्न मानव-शक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करनी पड़ती है….. ।”

मानव शक्ति नियोजन एक व्यापक शब्द है, जिसमें मानव शक्ति का पूर्वानुमान, उसका स्कन्ध एवं विश्लेषण, भर्ती तथा विकास सम्मिलित है । यह संगठन के वर्तमान एवं भावी उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए मानव शक्ति के पूर्वानुमान एवं उसकी आवश्यकतानुसार उपलब्धि की तकनीक है ।

उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है- ”मानव-शक्ति नियोजन एक व्यापक शब्द है, जिसमें मानव-शक्ति का पूर्वानुमान, भर्ती, चयन, विश्लेषण एवं विकास सम्मिलित है । यह संगठन के वर्तमान एवं भावी उद्देश्यों पर ध्यान देते हुए मानव शक्ति के पूर्वानुमान तथा उसकी आवश्कतानुसार उपलब्धि की तकनीक है ।”


2. मानव शक्ति नियोजन की विशेषताएँ (Characteristics of Manpower Planning):

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मानव-शक्ति नियोजन की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ हैं:

(1) इसके अन्तर्गत वर्तमान मानव-शक्ति की पूर्ति व माँग में समन्वय स्थापित किया जाता है तथा अविकसित चातुर्य का विकास करने के लिए प्रयत्न किया जाता है ।

(2) मानव-शक्ति नियोजन में मानव-शक्ति की आवश्यकता, संख्या व प्रकार का निर्धारण किया जाता है । इसके लिए यह आवश्यक है कि वांछित मानव शक्ति का पूर्वानुमान लगाया जाए जिससे उनकी शिक्षा, प्रशिक्षण एवं विकास आदि के लिए आवश्यक समय की व्यवस्था की जा सके ।

(3) मानव-शक्ति नियोजन में मानवीय स्रोतों से सम्बन्धित सभी क्रियाओं का समावेश किया जाता है । इनमें से कोई एक अथवा दो क्रियाएँ आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ रहती है ।

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(4) मानव-शक्ति नियोजन को प्रभावी बनाने के लिए कर्मचारियों पर, उनके कार्य करने की दशाओं पर और कार्य सम्बन्धी क्रियाओं पर ध्यान दिया जाता है ।

(5) भविष्य में मानव शक्ति की माँग में संभावित वृद्धि हो जाने पर वर्तमान पूर्ति का अध्ययन किया जाता है तथा बढ़ी हुई माँग की पूर्ति के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं ताकि नए कर्मचारियों की भर्ती की जा सके ।


3. मानव-शक्ति नियोजन की आवश्यकता (Need for Manpower Planning):

मानव-शक्ति नियोजन की आवश्यकता निम्न कारणों से अनुभव की जाती है:

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(1) संगठन की बढ़ती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए ।

(2) दिन-प्रतिदिन होने वाले तकनीकी परिवर्तनों का सामना करने के लिए ।

(3) पेशे को अप्रचलन की स्थिति से रोकने के लिए ।

(4) श्रम-प्रबन्ध संघर्षों को रोकने के लिए ।

(5) कार्यों में कुशलता प्राप्त करने के लिए ।

(6) संस्था के विस्तार तथा उसमें होने वाले परिवर्तनों के परिणामस्वरूप उत्पन्न समस्याओं का समाधान करने के लिए ।

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(7) मानव-शक्ति स्रोतों का अधिकतम उपयोग करने के लिए ।

(8) मानव शक्ति लागत को कम करने के लिए ।

(9) संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ।

(10) प्रशिक्षण तथा पुन: प्रशिक्षण की आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए ।


4. मानव-शक्ति नियोजन का क्षेत्र (Scope of Manpower Planning):

मानव-शक्ति नियोजन एक व्यापक एवं सतत् प्रक्रिया है जिसमें वर्तमान एवं भावी मानव-शक्ति स्रोत और उसकी आवश्यकता का विश्लेषण निहित है । मानव-शक्ति नियोजक अपने विचारों को प्रक्रिया के माध्यम से तथा भावी कठिनाइयों का ध्यान देते हुए अपने विवेक तथा ज्ञान के आधार पर निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में मार्गदर्शन करते हैं ।

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एक कुशल मानव-शक्ति नियोजन में निम्न कार्य सम्मिलित होते हैं:

(1) मानव-शक्ति आवश्यकताओं का अनुमान लगाना (Estimating Man-Power Requirements):

कर्मचारी प्रबन्धक अगले वर्ष की बिक्री के अनुमान एवं काम की योजना पर विचार करके संस्था के संगठन की योजना बनाता है और काम के मापदण्ड को ध्यान में रखकर कर्मचारियों की कुल आवश्यकता का अनुमान तैयार करता है ।

यह अनुमान लगाते समय उसे अगले वर्ष अवकाश-ग्रहण व त्याग-पत्र देने वाले कर्मचारियों का अनुमान तथा योग्य कर्मचारियों को पदोन्नति व पदवृद्धि की संभावनाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए ।

(2) रिक्तता विश्लेषण करना (Vacancy Analysis):

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कर्मचारी प्रबन्धक उपलब्ध कर्मचारी पूर्ति का, कर्मचारियों की कुल आवश्यकता अनुमान से तुलना करके रिक्तता तालिकाएँ बनाता है और रिक्त स्थानों की कार्य अपेक्षाओं एवं कार्य योग्यताओं को निर्धारित करता हैं जिससे सही कर्मचारियों को चुना जा सके । रिक्त तालिकाएँ बनाते समय श्रमिकों की फेर दर एवं अनुपस्थिति की दर का भी ध्यान रखना चाहिए ।

(3) कर्मचारियों की भर्ती की योजना बनाना (Planning for Recruitment of Employees):

कर्मचारियों की रिक्तता तालिकाएँ बन जाने पर कर्मचारी प्रबन्धक इन स्थानों को योग्य कर्मचारियों से भरने की योजना बनाता है । कर्मचारियों की भर्ती की योजना बनाने के समय से लेकर कर्मचारियों की नियुक्ति करके उसे काम पर लगाने के समय तक कर्मचारी प्रबन्धक को अनेक कार्य करने पड़ते हैं ।

इनमें कर्मचारी प्रबन्धक का काफी समय व्यर्थ हो जाता है । अत: कर्मचारी प्रबन्धक कर्मचारी स्थान के रिक्त होने की प्रतीक्षा नहीं करता बल्कि वह पहले से ही एक कर्मचारी अधिप्राप्ति समय तालिका बना लेता है । इस तालिका में रिक्तता की सम्भावित तिथि और कार्य विश्लेषण, विज्ञापन, जाँच-पड़ताल, चुनाव व नियुक्ति सम्बन्धी सभी कार्यवाहियों की संभावित तिथि भी स्पष्ट रूप से व्यक्त कर दी जाती है जिससे पद रिक्त होने से पहले ही उसे भरने के लिए योग्य व्यक्ति का चुनाव किया जा सके ।


5. मानव शक्ति नियोजन का महत्व (Significance of Manpower Planning):

मानव शक्ति नियोजन के महत्व का अध्ययन निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत किया गया है:

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(1) संगठन के लिए हितकर (Beneficial to the Organisation):

मानव शक्ति नियोजन संगठन के लिए हितकर है । इसके द्वारा संगठन अनुमान लगा सकता है कि मानव शक्ति की क्या समस्याएँ हैं, ताकि उन पर शीघ्र कार्यवाही की जा सके । अत: मानव शक्ति नियोजन सुधारात्मक कार्यवाही करने को बाध्य करता है ।

(2) समन्वय स्थापना (Co-Ordination):

योजना की स्थापना लक्ष्यों एवं सम्बद्ध उद्देश्यों से की जाती है जिसके फलस्वरूप कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है अत: समन्वय द्वारा संघर्ष को दूर किया जा सकता है ।

(3) नियन्त्रण सुविधा (Facilitates Control):

उपक्रम के क्रियाकलापों को नियन्त्रित करने के लिए एवं उसमें आवश्यक परिवर्तन करने हेतु मानव-शक्ति नियोजन का प्रयोग किया जाता है ।

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(4) कर्मचारी विशेष के लिए लाभदायी (Beneficial to Employee):

मानव शक्ति नियोजन का लाभ कर्मचारी विशेष को भी होता है । कैसी मानव शक्ति की आवश्यकता है, संगठन के कर्मचारी की योग्यता कैसी होनी चाहिये और कार्य विशेष के लिए कैसी योग्यताएँ चाहिए, का ज्ञान कर्मचारी-विशेष को हो जाता है, जिससे वह अपनी योग्यता वृद्धि के लिए प्रयत्न कर सकता है ।

(5) प्रेरणात्मक (Incentiveness):

मानव शक्ति नियोजन द्वारा कार्यक्रमों को विकसित करने तथा उन्हें तैयार करने की प्रेरणा मिलती है और दूसरों द्वारा निर्मित कार्यक्रमों का अनुसरण करने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता ।

(6) सुधारात्मक कार्यवाही (Corrective Action):

आर्थिक दशा में सुधार एवं मानव स्रोतों का अच्छा उपयोग मानव शक्ति नियोजन के प्रत्यक्ष लाभ हैं । नियोजकों को भी इसके द्वारा सूचना प्राप्त होती रहती है जिससे वे भविष्य में सुधारात्मक कार्यवाही कर सकते हैं ।

(7) मानव शक्ति सम्बन्धी समस्याओं की पहचान (Identification of Manpower Problems):

मानव शक्ति नियोजन मानव सम्बन्धी समस्याओं को पहचान करने और उन्हें दूर करने में सहायता प्रदान करता है ।

(8) मूल्यांकन (Evaluation):

मानव शक्ति नियोजन प्रक्रिया द्वारा कर्मचारियों द्वारा की गई क्रियाओं का मूल्यांकन संभव हो पाता है जिससे विचलन ज्ञात करके उन्हें उत्तरदायित्व सौंपा जा सकता है । उपर्युक्त लाभों के होते हुए भी प्राय: संगठन में मानव शक्ति नियोजन को विशेष महत्व नहीं दिया जाता ।

जब कभी मानव शक्ति की आवश्यकता पड़ती है तो भर्ती चयन तथा कार्य नियुक्ति की योजनाएँ असंगठित रूप से शीघ्रता से बना ली जाती हैं, जिससे न केवल लागत मूल्य ही बढ़ता है, अपितु न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं हो पाती ।

मानव शक्ति की भावी योजनाएँ न बनाकर केवल आवश्यकता पड़ने पर ही योजना तैयार करने से कमियों का होना निश्चित हो जाता है । मानव-शक्ति नियोजन को एक राम बाण औषधि समझा लेना भी भूल है । मुख्य समस्या दीर्घकालीन व अल्पकालीन वेतनभोगियों में संतुलन एवं समन्वय बनाए रखना है । दूसरी समस्या वर्तमान तथा दीर्घकालीन योजनाओं में आपसी समस्याओं को सुलझाना है ।


6. मानव शक्ति नियोजन के उद्देश्य (Objectives of Manpower Planning):

मानव शक्ति नियोजन की विचारधारा नियोजन के सिद्धान्त पर आधारित है । मानव शक्ति नियोजन में परिमाणात्मक एवं गुणात्मक दृष्टि से भावी मानव शक्ति का निर्धारण कर आवश्यकताओं को पूरा करने की व्यवस्था की जाती है ।

मानव शक्ति नियोजन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

(1) मानवीय शक्ति की आवश्यकताओं का सही पूर्वानुमान (Correct Estimation of Manpower Requirement):

मानव शक्ति नियोजन से उपक्रम में मानवीय शक्ति की आवश्यकताओं का सही पूर्वानुमान लगाया जा सकता है । अत: भविष्य में आवश्यकता के समय उपयुक्त योग्यता वाले व्यक्ति की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है ।

(2) मानवीय शक्ति का प्रबन्ध करना (To Manage the Manpower):

मानव शक्ति नियोजन द्वारा वर्तमान कर्मचारियों को उनके पदों के अनुरूप बनाना, वर्तमान पद रिक्तियों की वर्तमान मानव शक्ति द्वारा सर्वोत्तम ढंग से पूर्ति करना तथा भावी मानव शक्ति की आवश्यकताओं का निर्धारण करना आदि कार्य प्रबन्ध द्वारा किये जाते हैं । यह कार्य मानव शक्ति-नियोजन द्वारा ही सुविधापूर्वक पूरा किया जा सकता है ।

(3) भर्ती नीति को मजबूत बनाने के लिए (To Make Strong the Selection Policy):

मानव शक्ति नियोजन भर्ती नीति व चयन नीति के निर्माण में भी सहायक होता है । इसके द्वारा ऐसी भर्ती का निर्माण किया जा सकता है, जिससे कम लागत में श्रेष्ठ कर्मचारियों की भर्ती की जा सके ।

(4) उत्पादन स्तर को बनाये रखना (To Maintain the Production Level):

मानव शक्ति नियोजन से श्रमिकों की अनुपस्थिति दर, श्रम आवर्त दर तथा अन्य कारणों से ली जाने वाली अवकाश की दरों में कमी आती है, जिससे उत्पादन स्तर को बनाये रखना संभव हो पाता है ।

(5) अन्य उद्देश्य (Other Objectives):

उपयुक्त उद्देश्यों के अतिरिक्त मानव शक्ति नियोजन अन्य उद्देश्यों में भी विशेष रूप से सहायक होता है । इसके द्वारा भविष्य में कर्मचारियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न स्रोतों का निर्धारण किया जा सकता है । साथ ही कर्मचारियों की श्रम लागतों में कमी की जा सकती है तथा औद्योगिक सम्बन्धों को मधुर बनाया जा सकता है ।


7. मानव संसाधन नियोजन में समस्याएँ (Problems in Human Resource Planning):

मानव संसाधन नियोजन सदैव ही सफल नहीं हो पाता ।

कुछ महत्वपूर्ण रुकावटें निम्न प्रकार बतायी जा सकती हैं:

(1) पहचान का विवाद (Identity Crisis):

सामान्यत: पहचान का विवाद उत्पन्न हो जाता है तथा अधिकांश प्रबन्धक एवं साथ ही मानव संसाधन विशेषज्ञ सम्पूर्ण मानव संसाधन नियोजन प्रक्रिया को पूरी तरह नहीं समझ पाते । जब तक मानव संसाधन नियोजन विशेष उद्देश्य का एक दृढ़ भाव विकसित नहीं कर लेते इस बात की बड़ी सम्भावना है कि वे असफल हो जायेंगे ।

(2) उच्च प्रबन्ध का समर्थन (Support of Top Management):

प्रभावी होने के लिए, दीर्घकाल में, मानव संसाधन नियोजन को उच्च प्रबन्ध का पूरा समर्थन प्राप्त होना चाहिए । उच्च प्रबन्ध से समर्थन आवश्यक संसाधन सहयोग तथा मानव संसाधन नियोजन की सफलता हेतु समर्थन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी होता है ।

(3) प्रारम्भिक प्रयास का आकार (Size of Initial Effort):

पर्याप्त प्रारम्भिक प्रयासों की कमी के कारण मानव संसाधन नियोजन असफल हो जाता है । सफल होने के लिए मानव संसाधन नियोजन को धीरे-धीरे शुरू होना चाहिए तथा क्रमश: बढ़ना चाहिए । सही चातुर्य गणना का विकास तथा प्रतिस्थापन चार्ट की रचना मानव शक्ति नियोजन के अभिन्न अंग होते हैं ।

(4) अन्य प्रबन्धकीय कार्यों के साथ समन्वय (Co-Ordination with Other Management Functions):

मानव संसाधन नियोजन को प्रभावी होने के लिए अन्य प्रबन्धकीय कार्यों के साथ तालमेल बनाये रखना चाहिए । दुर्भाग्य से, मानवशक्ति आयोजकों की ओर से यह प्रवृत्ति रहती है कि अन्य परिचालन प्रबन्धकों से एकदम अलग-थलग अपनी दुनिया में पूरी तरह समा जायें ।

(5) संगठनात्मक योजनाओं के साथ तालमेल (Integration with Organisational Plans):

मानव संसाधन नियोजन को संगठनात्मक उद्देश्यों तथा योजनाओं पर आधारित होना चाहिए । यह संगठन के योजनाकारों तथा मानव संसाधन योजनाओं के बीच अच्छी संचार श्रृंखलाओं की माँग करता है । अनेक संगठनों में, ऐसे संचार की कमी होती है तथा मानव संसाधन योजनाओं को आधारभूत संगठनात्मक योजनाओं से अलग होकर ही तैयार किया जाता है ।

(6) परिचालन प्रबन्धकों की भागीदारी (Involvement of Operating Managers):

मानव संसाधन नियोजन एक मात्र मानव संसाधन योजनाकारों का ही काम नहीं है । सफल मानव संसाधन योजना कार्मिक विभाग तथा परिचालन प्रबन्धकों की ओर से एक समन्वित प्रयास की माँग करती है ।


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