Read this article in Hindi to learn about the ERG theory of motivation by Clayton Alderfer.

येल विश्वविद्यालय के क्लेटर एल्डरफर त्रिस्तरित आवश्यकता प्राथमिक सिद्धान्त प्रस्तावित करके मैस्लो के सिद्धान्त की पुन: अभिव्यक्ति की है । ERG का अर्थ है अस्तित्व (Existence), सम्बद्धता (Relatedness) तथा विकास आवश्यकताएँ (Growth Needs) ।

क्लेटन के अनुसार एक से अधिक स्तरों पर आवश्यकताएँ किसी भी समय विशेष पर सक्रिय रहती हैं तथा आधार से प्राथमिकता में उच्च स्तर तक उनमें उर्ध्वाधर तथा अधोगामी गतिशीलन होता जाता है ।

यदि कोई व्यक्ति अपनी उच्च स्तरित आवश्यकताओं को सन्तुष्ट न कर पाने के कारण परेशान सा रहता है तो वह उससे निचले स्तर की आवश्यकता की ओर वापस आएगा तथा उनको पूरा करके ही सन्तुष्टि अनुभव करेगा ।

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अंग (Components):

एल्डरफर की विचारधारा के निम्न चार अंग हैं:

1. सन्तुष्टि आरोह (Satisfaction Progression):

यह तत्व मैस्लो की विचारधारा में भी लागू होता है । इसका आशय यह है कि जब निम्न स्तर की आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं तो उच्च-स्तर की आवश्यकतायें जागृत हो जाती हैं तथा महत्वपूर्ण बन जाती हैं ।

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2. नैराश्य या विफलता (Frustration):

निराशा उस समय होती है जब व्यक्ति किसी आवश्यकता की पूर्ति में असफल हो जाता है । इस निराशा से व्यक्ति के लिए असन्तुष्ट आवश्यकता और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है तथा वह अधिक शक्ति के साथ उसकी पूर्ति का प्रयास करता है जब तक कि वह लगातार कई बार असफल न हो जाये ।

3. नैराश्य पश्चगमन (Frustration Regression):

इस अवस्था में जब व्यक्ति को किसी आवश्यकता पूर्ति के सम्बन्ध में बार-बार निराशा का अनुभव होता है तो वह निम्न स्तरीय आवश्यकताएँ, जो कि उसे अधिक यथार्थपूर्ण एवं पहुँच योग्य लगती हैं, पर अपना ध्यान केन्द्रित करने लगता है ।

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4. अभिलाषा (Aspiration):

यह अंग स्पष्ट करता है कि विकास अपनी प्रकृति के कारण गहन रूप से संतृप्तकारी होता है । एक व्यक्ति जितना अधिक विकास करता है वह उतना ही और अधिक विकास करना चाहता है (The More one Grows, the More One Wants to Grow) ।

अत: विकास आवश्यकता को जितनी अधिक पूरी किया जाये वह उतनी ही महत्त्वपूर्ण बन जाती है तथा व्यक्ति उसकी पूर्ति के लिए उतना ही अधिक अभिप्रेरित होता है ।

इस प्रक्रिया को निम्न चित्र के द्वारा समझा जा सकता है:

ERG विचारधारा के लक्षण एवं मैस्लो की विचारधारा में अन्तर:

(a) मैस्लो, हर्जबर्ग तथा एल्डरफर की आवश्यकता श्रेणियों में पारस्परिक सम्बन्ध है लेकिन फिर भी ERG आवश्यकताओं के बीच सीमांकन रेखायें कठोर नहीं हैं ।

(b) एल्डरफर ने मैस्लो की भांति आवश्यकताओं के क्रमबद्ध स्तर (Hierarchical Levels) नहीं सुझाये हैं, वरन् उन्होंने आवश्यकताओं का एक सातत्य-क्रम (Continuum) प्रस्तुत किया है ।

(c) एल्डरफर के अनुसार यह आवश्यक नहीं है कि उच्च-स्तरीय आवश्यकताओं के जागृत होने के पूर्व निम्नस्तरीय आवश्यकताओं की पूर्ति हो ।

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(d) एल्डरफर के अनुसार यह भी आवश्यक नहीं है कि किसी आवश्यकता के अभाव (Deprivation) के फलस्वरूप ही वह उत्पन्न होती है । उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति की पृष्ठभूमि अथवा सांस्कृतिक वातावरण के कारण यह सम्भव है कि अस्तित्वगत आवश्यकताओं (Existence Needs) के अतृप्त रहते हुए भी उच्च स्तरीय ‘सम्बद्धता’ (Relatedness) आवश्यकताएँ जागृत हो जायें ।

इस प्रकार विकास आवश्यकताओं को अधिकाधिक पूरा करने से यह सम्भव है कि उनकी तीव्रता और अधिक बढ़ जाये ।

(e) इस विचार धारा के अनुसार एक समय पर एक से अधिक आवश्यकतायें भी कार्यशील (Operative) हो सकती हैं ।

(f) इसके अनुसार जब उच्च-स्तरीय आवश्यकता की सन्तुष्टि नहीं की जाती है तो निम्न स्तरीय आवश्यकता को पूरा करने की इच्छा बढ़ जाती है ।

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(g) इस विचारधारा में ‘नैराश्य प्रतिगमन’ (Frustration-Regression) भी है जबकि मैस्लो का विचार है कि व्यक्ति किसी स्तर की आवश्यकता के पूरा न होने पर उसी स्तर पर रुका रहता है, नीचे नहीं आता ।

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