Read this article in Hindi to learn about the linkage between human resource development and organisational effectiveness.

मानव संसाधन विकास एक प्रक्रिया है जो कि संगठनात्मक प्रभावपूर्णता से सम्बन्धित है । मानव संसाधन विकास के कई औजार/साधक हैं । यह मानव संसाधन विकास के औजार, मानव संसाधन विकास वातावरण एवं प्रक्रिओं के निर्माण में सहायता करते हैं ।

मानव संसाधन विकास के वातावरण से व्यक्ति और मानव संसाधन विकास के वातावरण में व्यक्ति और अधिक योग्य, सन्तुष्ट एवं समर्पित होते हैं । अन्तत: यह मानव संसाधन परिणामों (Outcomes) संगठन की प्रभावपूर्णता बढ़ती है ।

प्रोफेसर टी. वी. राव ने एक मॉडल विकसित किया है, जो कि मानव संसाधन विकास साधकों (HRD Instruments), प्रक्रियाओं (Processes), परिणामों (Outcomes) एवं संगठनात्मक प्रभावपूर्णता (Organisational Effectiveness) में अन्तर्सम्बन्धों की व्याख्या करता है ।

1. मानव संसाधन विकास यन्त्र रचनाएँ (HRD Mechanism):

मानव संसाधन विकास यन्त्र रचनाएँ (HRD Mechanism) एक उप-प्रणाली है इसका समय-समय पर यह जानने के लिए पुनर्निरीक्षण किया जाना चाहिए कि वह अपेक्षित मानव संसाधन विकास वातावरण (HRD Climate) विकसित हुआ है अथवा नहीं ।

कुछ महत्त्वपूर्ण मानव संसाधन विकास साधकों (HRD Instruments) का विस्तृत विवरण निम्नलिखित है:

(a) निष्पादन मूल्यांकन (Performance Appraisal):

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निष्पादन का मूल्यांकन परिणाम द्वारा जांचा जाता है । निष्पादन मूल्यांकन का सम्बन्ध वर्तमान कर्मचारियों की कार्यकुशलता के परिणाओं को उनकी जॉब आवश्यकताओं से सम्बन्धित कर मूल्यांकन करना है ।

इससे पता चलता है कि कर्मचारी किस सीमा तक अपनी वर्तमान जॉब आवश्यकताओं को पूर्ण सन्तुष्ट कर रहा है । इसका उद्देश्य योग्यता कमियों (Competency Gaps) की पहचान करना है । इससे संगठन को अपने मानव संसाधनों की वर्तमान स्थिति, ताकतों एवं कमियों का पता चलता है ।

इससे संगठन को यह पता लगाने में सहायता मिलती है कि संगठनात्मक संरचना के विभिन्न पदों पर कार्यरत कर्मचारियों में उनमें अपेक्षित योग्यता की तुलना में कितनी योग्यता है । इसका उद्देश्य मानव संसाधनों में योग्यता सुधार की क्षमता का पता लगाना भी है ।

बायर एवं रू (Bayers & Rue) के अनुसार- “निष्पादन मूल्यांकन कर्मचारी को न केवल यह बताना कि कितना अच्छा कार्य कर रहे हैं बल्कि उनके भावी प्रयासों क्रियाओं, परिणामों एवं कार्य दिशाओं को भी प्रभावित करना चाहिये । प्रोफेसर टी. वी. राव ने सही स्पष्ट किया है कि निष्पादन मूल्यांकन की प्रणाली एक दोहरी विचारधारा है- (i) मूल्यांकन विचारधारा एवं (ii) विकास सम्बन्धी विचारधारा ।

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निष्पादन मूल्यांकन की विकास सम्बन्धी विचारधारा को पिछले कुछ वर्षों में बल मिला है । इसके अतिरिक्त मानव संसाधन विकास के उद्देश्यों को केवल कार्य निष्पादन मूल्यांकन से प्राप्त करने के साथ ही प्रशिक्षण एवं विकास द्वारा बेहतर प्राप्त किया जा सकता है ।”

(b) क्षमता मूल्यांकन एवं विकास (Potential Appraisal and Development):

व्यवसाय एवं व्यक्तियों को पूर्व तैयारी से प्रबन्ध किया जाना चाहिये । क्षमता मूल्यांकन से अभिप्राय कर्मचारियों की आनुवंशिक योग्यताओं जैसे कि कौशल, ज्ञान आदि का अनुमना लगाना एवं पहचान करना है । कर्मचारियों की इस योग्यता का वर्तमान में उपयोग न हो रहा हो ऐसा हो सकता है ।

व्यवसाय की गतिशील प्रवृत्ति, नई तकनीक का विकास विविधीकरण, आधुनिकीकरण, बढ़ती प्रतिस्पर्धा आदि को ध्यान में रखते हुए संगठन में उपलब्ध मानव संसाधनों की क्षमता का पहले से ही अनुमान लगाना आवश्यक है ।

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क्षमता विकास का सम्बन्ध कर्मचारियों की क्षमता को बढ़ाना है ताकि वे भविष्य में उच्च पद से सम्बन्धित चुनौतियों एवं जिम्मेदारी को स्वीकार कर सकें । अत: क्षमता विकास का उद्देश्य कर्मचारियों की क्षमताओं की पहचान करना एवं विकास करना है जिससे कि भावी महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी को स्वीकार कर सकें ।

(c) वापस जानकारी/प्रतिक्रिया एवं मन्त्रणा (Feedback and Counseling):

कर्मचारियों के कार्य निष्पादन मूल्यांकन की रिपोर्ट को वापस जानकारी/प्रक्रिया के रूप में उपयोग किया जा सकता है । प्रबन्ध अधीस्थों की प्रगति के मूल्यांकन का उनके निकटतम वरिष्ठों के साथ विमर्श कर सकते हैं । इसके द्वारा कर्मचारियों को मन्त्रणा (Counseling) की आवश्यकता का अनुमान लगाया जा सकता है ।

मन्त्रणा में कई उपयोगी उद्देश्यों की पूर्ति हो सकती है । इससे कर्मचारियों की निराशा व गलतफहमियों का हल निकल सकता है । यह कर्मचारियों की योग्यता सुधार एवं उचित मार्गदर्शन कर सकती है । यह वरिष्ठ एवं अधीनस्थ सम्बन्धों में सुधार में सहायता कर सकती है ।

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इससे वरिष्ठों एवं अधीनस्थों को एक-दूसरे की समस्याओं को समझने में मदद मिल सकती है । इससे कर्मचारियों की समस्याओं को दूर एवं उनकी योग्यताओं का अधिकतम उपयोग करने में मदद मिलती है । मन्त्रणा कर्मचारियों को उद्देश्य निर्धारित करने एवं इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्य योजना तैयार करने की सहायता मिलती है ।

(d) रोल विश्लेषण (Role Analysis):

रोल अथवा कर्त्तव्य की धारणा एक कृर्तय/जॉब की धारणा से विस्तृत है । जॉब से अभिप्राय कार्यों को सौंपना है । प्रत्येक जॉब के कुछ निर्धारित कर्त्तव्य जिम्मेदारियाँ हैं । रोल सौंपी गई जॉब से सम्बन्धित एक व्यक्ति के अपेक्षित व्यवहार, परस्पर सम्बन्ध एवं भावनाओं का समस्त ढाँचा (Total Pattern) है ।

रोल विश्लेषण एक प्रक्रिया है । इनका रोल के उन सभी तत्वों को परिभाषित करना है जिनके साथ के कर्मचारियों को कार्य करते समय व्यवहार करना पड़ता है । रोल विश्लेषण को रोल स्पष्टता एवं निष्पादन मूल्यांकन के उद्देश्यों की मध्यस्थता अथवा व्यवधन (Intervention) कह सकते हैं ।

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(e) वृत्ति नियोजन (Career Planning):

कैरियर अथवा वृत्ति का एक व्यक्ति द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान धारण किये गये विभिन्न पदों का क्रम है । एडविन बी. फिलिप्पो के अनुसार- ”कैरियर अलग-अलग किन्तु आपस में सम्बन्धित विभिन्न क्रियाओं का क्रम है जो कि कर्मचारी के जीवन को निरन्तरता, क्रम एवं अर्थ प्रदान करता है ।”

वृत्ति नियोजन एक प्रक्रिया है । यह कर्मचारी को उसके वृत्ति नियोजन में सहायता करती है । यह कर्मचारियों को अपनी योग्यताओं का अनुमान लगाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं एवं संगठन में उनके लिए उपलब्ध अवसरों की जानकारी देती है ।

वृत्ति नियोजन का मुख्य केन्द्रबिन्दु कर्मचारियों के कौशल एवं योग्यताओं को संगठन की आवश्यकताओं एवं माँग से जोड़ना है । इसका उद्देश्य अपने योग्य एवं सक्षम कर्मचारियों के लिए तीव्रतम कैरियर अवसर प्रदान करना है ।

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अत: वृति नियोजन एक कर्मचारी के लिए कैरियर आशाओं, कैरियर विकास एवं तरक्की का निर्धारण करने की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया है । यह संगठन के मानव संसाधन विकास प्रणाली (HRD System) को सुदृढ़ करने में सहायता करती है ।

(f) प्रशिक्षण एवं विकास (Training and Development):

प्रशिक्षण एवं विकास प्रत्येक संगठन द्वारा प्रयोग किये जाने वाले औजार अथवा साधक (Instruments) हैं । निरन्तर तकनीक में सुधार के तथ्य के परिणामस्वरूप प्रशिक्षण का महत्व बढ़ा है । प्रशिक्षण एक कर्मचारी के एक विशिष्ट कार्य करने के कौशल एवं ज्ञान में वृद्धि करने की क्रिया है ।

इसका उद्देश्य एक विशिष्ट जॉब के लिए कर्मचारी की योग्यता को बढ़ाना है । जबकि विकास का उद्देश्य कर्मचारी का सम्पूर्ण विकास करना है । यह एक भविष्य सम्बन्धित प्रशिक्षण कार्यक्रम है ।

इसका उद्देश्य संस्था के उच्च पदों को भरने के लिए कर्मचारी का विकास करना है । अत: अधिकतर संगठन केवल उद्योग में सर्वश्रेष्ठ भर्ती में विश्वास रखते हैं बल्कि उनकी योग्यता भी बढ़ाते हैं ।

(g) संगठनात्मक विकास (Organisational Development):

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बोनेलस के अनुसार- ”संगठन विकास संगठन में विश्वास, सोच, मूल्यों एवं संगठन के ढाँचे में परिवर्तन की एक संयुक्त शिक्षा सम्बन्धी कौशल है जिससे वे नई तकनीक, बाजारों एवं चुनौतियों का मुकाबला कर सकें ।” साधारण शब्दों में, संगठनात्मक विकास परिवर्तन प्रबन्ध की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया है ।

यह संगठन के स्वास्थ्य एवं प्रभाव पूर्णता को सुधारने के लिये उच्च प्रबन्धकों की एक नियोजित पहल है । इसका उद्देश्य संगठन की समस्या समाधान प्रक्रिया को सुधारना है ।

संगठनात्मक विकास के निम्नलिखित विभिन्न चरण (Steps) हैं:

(i) समस्या की पहचान करना (Diagnosis/Identification of the Problem),

(ii) परिवर्तन लागू करने की मोर्चाबन्दी का नियोजन (Planning Strategy to Introduce Change),

(iii) संगठनात्मक विकास मध्यस्थतों का प्रयोग (Use Organisational Development Interventions) ।

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संगठनात्मक अभ्यास विशेषज्ञों, परामर्शदाताओं, परिवर्तन एजेण्टों में सलाह, संगठनात्मक विकास में विभिन्न मध्यस्थतों (Interventions) जैसे कि संवेदनाशीलता प्रशिक्षण (Sensitivity Training), उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध कार्यक्रमों (Management by Objectives Programmes), प्रतिक्रिया सर्वे (Survey Feedback), प्रबन्ध ढांचा (Management Grid) आदि का उपयोग किया जा सकता है ।

(iv) परिवर्तन को लागू करने का मूल्यांकन करना (Evaluating on Implementing of Change)- एडविन बी. फिलिप्पो के अनुसार- ”संगठनात्मक विकास कुछ विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति का एक नियोजित एवं पूर्व विचारित प्रयास है जैसे कि (1) योग्यता के आधार पर निर्णय, (2) संघर्ष अथवा कलह का सृजनात्मक समाधान, (3) आपसी भाईचारे को बढ़ाना, (4) समर्पण एवं प्रभुत्व की भावना को बढ़ाना, (5) अन्तर-व्यक्तिक विश्वास एवं सहयोग बढ़ाना, (6) ऐसा वातावरण निर्मित करना जिसमें मानव प्रौढ़ता एक विकास संगठन के दैनिक कार्यों का एक प्राकृतिक हिस्सा हों एवं (7) संगठन की समस्याओं के समाधान के लिए आपसी खुलेपन की सम्प्रेषण प्रणाली का विकास करना ।”

(h) पुरस्कार (Rewards):

पुरस्कार एक कर्मचारी की संगठन में सेवाओं की क्षतिपूर्ति है । पुरस्कार योग्य कर्मचारी की सेवाओं को संगठन में बनाये रखने के लिए, बेहतर कार्य करने के लिए, संगठन में योग्य एवं सक्षम भावी कर्मचारियों को आकर्षित करने के लिए आवश्यक हैं ।

कर्मचारियों को संगठन में योगदान के लिए उचित पुरस्कार अवश्य दिया जाना चाहिए । पुरस्कार बाह्य पुरस्कार (Extrinsic Reward) एवं यथार्थ पुरस्कार (Intrinsic Reward) हो सकता है । बाह्य पुरस्कार (Extrinsic Reward) का सम्बन्ध मौद्रिक लाभों जैसे कि वेतन, पदोन्नति, अनुषंगी लाभों आदि से है ।

यथार्थ पुरस्कार (Intrinsic Reward) का सम्बन्ध सीधा जॉब से है जैसे कि- जॉब सन्तुष्टि, कार्य में गर्व, व्यक्ति के रूप में मान्यता । बेहतर पुरस्कार मानव संसाधन विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता करते हैं । अधिकांश सफल संगठन अपने कर्मचारियों को बाह्य एवं यथार्थ पुरस्कारों का मिश्रण देने का प्रयास करती है ।

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उदाहरण के लिए आई टी. सी. (ITC) की मानव संसाधन दर्शन (Human Resources Philosophy) उन्हें उच्च गुणात्मक कार्य देने एवं गुणों के लिए बेहतर प्रतिस्पर्धात्मक क्षतिपूर्ति में समर्थ बनाती है ।

इसी प्रकार की बी. एस. ई. एस लिमिटेड (BSES Ltd.) कर्मचारियों को संगठन की प्रगति, समृद्धि एवं वृद्धि में योगदान के लिए Meritorious Performance Award’s से सम्मानित करती है ।

अत: यह कर्मचारियों को इन यथार्थ पुरस्कारों के लिये प्राप्त करने के लिए अपनी योग्यताओं में सुधार लिए अभिप्रेरित करती है ।

(i) जॉब चक्र (Job Rotation):

जॉबचक्र, मानव संसाधन विकास यन्त्र रचना की एक अन्य उप-प्रणाली है । इस यन्त्र प्रयोग उद्योग में सबसे कम किया जाता है । इसका उपयोग संगठन में पर्यवेक्षकों एवं प्रबन्धकों के विकास के लिए किया जाता है । यह कर्मचारियों को एक जॉब से दूसरी जॉब पर एक निश्चित समय के लिए बदलने एक सुव्यवस्थित एवं नियोजित कार्यक्रम है ।

इसके द्वारा कर्मचारियों को अन्य क्रियात्मक क्षेत्रों एवं सामान्य प्रबन्ध विकास से परिचित होने का अवसर मिलता है इससे कर्मचारी दूसरे विभागों की कार्यशैली को समझने का प्रयास करते हैं इसका उद्देश्य संगठन में सर्वगुण सम्पन्न व्यक्तियों का विकास है ।

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(j) जॉब सम्पन्नता (Job Enrichment):

जॉब सम्पन्नता से अभिप्राय जॉब के तत्वों का विस्तार है । यह कार्य की जिम्मेदार क्षेत्र एवं चुनौतियों में सोचा-समझा विस्तार है । यह एक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति का धीरे-धीरे विकास किया जा सकता है ।

यह इस मान्यता पर आधारित है कि कर्मचारी अधिक जिम्मेदारी चाहते हैं जॉब सम्पन्नता की सफलता इस पर निर्भर करती है कि इसे कार्य समूहों में किस प्रकार लागू किया जाता है ।

2. मानव संसाधन विकास प्रक्रियाएँ एवं मानव संसाधन विकास वातावरण चर (HRD Process and HRD Climate Variable):

मानव संसाधन विकास यन्त्र रचनाएं (HRD Mechanism) अथवा उपप्रणाली (Sub-System) अथवा औजार (Instrument) के द्वारा अपेक्षित मान संसाधन विकास वातावरण अथवा प्रक्रिया (HRD Climate or Process) का विकास होता है ।

मानव संसाधन विकास संस्कृति (HRD Culture) संगठन के वातावरण का एक महत्त्वपूर्ण अंग है । मानव संसाधन विकास प्रक्रियाओं से मानव संसाधन विकास संस्कृतिक के विकास में सहायता मिलती है ।

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टी. वी. राव के शब्दों में- ”मानव संसाधन विकास वातावरण संगठन के मानव संसाधन विकास संस्कृति के बारे में कर्मचारियों का बोध है ।” मानव संसाधन विकास विशेषज्ञ मानव संसाधन विकास वातावरण की मुख्य विशेषताओं को OCTAPACE द्वारा व्यक्त करते हैं ।

 

मानव संसाधन विकास वातावरण उसकी रोक स्पष्टता, खुलापन, भरोसा, टीम-कार्य, पूर्वक्रियान्वित नियोजन एवं संगठन में हर एक कर्मचारी के विकास को प्रतिदर्शित करता है ।

मानव संसाधन विकास संस्कृति के विकास की पहल में मानव संसाधन विकास विभाग उपप्रणालियों एवं उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक हैं । मानव संसाधन विकास वातावरण (HRD Climate) एवं प्रक्रियाएँ, सेविवर्गीय नीतियों, उच्च प्रबन्ध शैलियों, मानव संसाधन विकास में विनियोग, उच्च प्रबन्ध समर्पण, लाइन प्रबन्धकों के हितों, पूर्व संस्कृति आदि पर निर्भर है ।

संक्षेप में, मानव संसाधन विकास यन्त्र रचनाएँ एवं मानव संसाधन विकास प्रक्रियाओं तथा वातावरण के बीच सम्बन्ध को अग्रलिखित ढंग से स्पष्ट करती है:

(1) मानव संसाधन विकास यन्त्र-रचनाएँ (HJRD Mechanism) एक स्वस्थ मानव संसाधन विकास वातावरण (HRD Climate) के विकास की महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी मध्यस्थताएँ अथवा औजार (Instrument/Intervention) हैं ।

(2) मानव संसाधन विकास औजारों का प्रयोग, अपेक्षित मानव संसाधन विकास प्रक्रियाओं के विकास में किया जाता है । उदाहरण के लिए निष्पादन एवं क्षमता मूल्यांकन की सहायता में कार्य निष्पादन के लिए आवश्यक योग्यता को निर्धारण एवं अनुमान लगाया जाता है ।

पुनर्विचार विचार विमर्श, प्रतिक्रिया, मन्त्रणा सत्रों से भरोसा एवं बेहतर वरिष्ठ अधीनस्थ सम्बन्ध बनाने में सहायता मिलती है । रोल विश्लेषण क्रियाओं का परिणाम संगठन में रोल स्पष्टता से मिलता है । प्रशिक्षण एवं विकास एक पूर्वविचारित कार्यक्रम हैं ।

जॉब समृद्धि से कार्य समूहों में रिस्क एवं जिम्मेदारी को सोच-समझ कर बढ़ाया जाता है । संगठनात्मक विकास की सहायता से संगठन में समस्याओं एवं परिवर्तन का प्रबन्ध किया जा सकता है । इससे संगठन में खुलापन, प्रभावपूर्ण सम्प्रेषण, अन्तर्विभागीय सहयोग को बढ़ावा मिलता है । इसका उद्देश्य मानवीय विकास का वातावरण उपलब्ध कराना है ।

(3) मानव संसाधन वातावरण (HRD Climate) निर्भर है- मानव संसाधन विकास यन्त्र रचनाओं एवं सेविवर्गीय नीतियों । उच्च प्रबनधकों को शैली पर ।

(4) मानव संसाधन विकास यन्त्र रचनाएँ एवं सेविवर्गीय नीतियों का समय-समय पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए जिससे कि अपेक्षित मानव संसाधन विकास वातावरण बनाया जा सके ।

3. मानव संसाधन विकास परिणाम (HRD Outcomes Variables):

मानव संसाधन विकास यन्त्र रचना (HRD Mechanism) से मानव संसाधन विकास वातावरण (HRD Climate) बनता है । मानव संसाधन विकास वातावरण (HRD Climate) से मानव संसाधन विकास परिणाम (HRD Outcomes) मिलते हैं ।

अत: मानव संसाधन विकास परिणाम (HRD Outcomes) ,मानव संसाधन विकास यन्त्र रचना एवं वातावरण का परिणाम हैं । अच्छे मानव संसाधन विकास वातावरण (HRD Climate) से बेहतर मानव संसाधन विकास परिणाम (HRD Outcomes) प्राप्त होते हैं । जैसे कि अधिक योग्य, सन्तुष्ट एवं समर्पित कर्मचारी ।

इन परिणामों के अतिरिक्त, इससे आन्तरिक संसाधनों का बेहतर उपयोग समूह कार्य एवं बेहतर संगठनात्मक स्वास्थ्य मिलता है । एक संगठन जिसमें योग्य एवं सन्तुष्ट व्यक्ति हों उनमें उन संगठनों के मुकाबले अच्छे परिणाम मिलेंगे जिन संगठनों में यह गुण कम हैं ।

संक्षेप में, मैडिकस में दिये गये मानव संसाधन विकास परिणामों (HRD Outcomes) की स्थिति को निम्नलिखित तरीके से स्पष्ट किया जा सकता है:

(i) मानव संसाधन विकास वातावरण एवं प्रक्रियाओं का नतीजा है मानव संसाधन विकास परिणाम (HRD Outcomes) ।

(ii) बेहतर मानव संसाधन विकास वातावरण (HRD Climate) एवं प्रक्रियाओं के फलस्वरूप संगठन में अच्छे योग्य, सन्तुष्ट एवं समर्पित लोग मिलते हैं ।

(iii) मानव संसाधन विकास प्रक्रियाएँ (HRD Processes) अनेक हैं जबकि मानव संसाधन विकास परिणाम सीमित हैं ।

(iv) मानव संसाधन विकास, परिणाम (HRD Outcomes) से संगठनात्मक प्रभावपूर्णता निर्धारित होती है ।

(v) एक संगठन जिनमें योग्य एवं समर्पित व्यक्ति होंगे उसके प्रभावशाली होने की अधिक सम्भावना है ।

(vi) एक ऐसा संगठन जिसके बुरे मानव संसाधन परिणाम (Poor HRD Outcomes) हैं वह बुरे मानक संसाधन वातावरण, उन स्तरीय प्रबन्धकों की गलत नीतियों एवं कम समर्पित होने का परिणाम हैं । यह दर्शाती है कि संगठनात्मक वातावरण एवं प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता है ।

4. संगठनात्मक प्रभावपूर्णता (Organisational Effectiveness):

मानव संसाधन विकास परिणाम जैसे कि योग्य कर्मचारी, मानव संसाधनों का बेहतर उपयोग संगठन की प्रभावपूर्णता पर असर डालते हैं । उच्च उत्पादकता, कम लागतें एवं बेहतर ख्याति आदि संगठनात्मक प्रभावपूर्णता के मापक (Parameters) हैं ।

संगठन की प्रभावपूर्णता इसके मानव संसाधन विकास परिणाम चरों एवं वातावरण उपलब्ध तकनीक व्यवसाय की प्रकृति आदि से प्रभावित होती है । एक अच्छे योग्य, कुशल, अभिप्रेरित लोगों एवं बेहतर मानव संसाधन विकास वातावरण (HRD Climate) वाला संगठन उन संगठनों से अधिक प्रभावपूर्ण होगा ।

जहाँ पर कि बुरे मानव संसाधन विकास परिणामों वाले चर विद्यमान है । इसी कारण से एक बुरे मानव संसाधन विकास वातावरण वाला संगठन अच्छे मानव संसाधन विकास परिणाम नहीं दे सकता जैसे कि योग्य व्यक्ति मानवीय संसाधनों का बेहतर उपयोग आदि स्पष्ट है कि संगठन जिसमें ये कमियाँ हैं वह कम प्रभावपूर्ण होगा ।

मैक्रो एवं माइक्रो स्तर पर मानव संसाधन विकास (HRD at Macro and Micro Level):

व्यक्ति संगठन की सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण सम्पत्तियाँ हैं । यह संगठन के लिए केवल एक सजावटी अंग नहीं हैं । इनसे मानवों के जैसा व्यवहार किया जाना चाहिये । महान् एवं बड़े संगठनों को अपनी श्रम शक्ति एवं उनकी योग्यताओं में हमेशा अधिक भरोसा होता है ।

अत: ऐसे लोग जो कि विजेता हैं उन्हें प्राप्त करना अधिक आवश्यक है किन्तु उन्हें बनाये रखना उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है । इस अवधारणा को स्वीकार करने के परिणामस्वरूप ही आज मानव संसाधन विकास (HRD) रोशनी में है । किन्तु प्रश्न है कि मानव संसाधन विकास (HRD) का मैक्रो एवं माइक्रो स्तर पर क्या अभिप्राय है ?

इसका उत्तर जितना आसान नहीं है जैसा कि लगता है । मानव संसाधन विकास को एक सामूहिक मानवीय प्रक्रिया एवं टीम प्रयास के रूप में देखना आवश्यक है जो कि एक उपलब्ध वातावरण में उपलब्ध मानवीय संसाधनों की योग्यताओं में सुधार से सम्बन्धित है । यह मुख्यत: संगठन में कार्य करने वाले लोगों के अन्दर छुपी योग्यता के विकास से सम्बन्धित हैं ।

मानव संसाधन विकास का एक और मुख्य उद्देश्य लोगों में नवप्रवर्तन एवं नई योग्यताओं का विकास है जिससे कि वे वर्तमान एवं भावी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बन सकें । मानव संसाधन मैक्रो एवं माइक्रो दोनों स्तरों पर ही लागू किया जाता है ।

माइक्रो स्तर (Micro Level):

एक गतिशील एवं विकास सम्बन्धी यूनिट में मानव संसाधन विकास क्रियाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका (Role) निभाती हैं । यह संगठन के लिए एक जादू का काम करती है जिसकी सहायता की वह यूनिट अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है । समान्यत: मानव संसाधन विकास माइक्रो स्तर पर संगठन का श्रमशक्ति नियोजन है ।

चयन प्रशिक्षण मूल्यांकन, क्षतिपूर्ति, संगठनात्मक विकास आदि का कार्य करता है । यह सभी क्रियाएँ संगठन को एक नया विज्ञान प्रदान करती हैं । मानव संसाधन विकास (HRD) को उपर्युक्त सभी क्षेत्रों में शामिल करने से संगठन को प्रशिक्षित एवं विकसित श्रम शक्ति के रूप में लाभ मिलता है ।

मानव संसाधन विकास संगठन में कर्मचारियों में नई योग्यताओं का विकास करता है जिससे कि वे उद्देश्य प्राप्ति में सहायक हों तथा वर्तमान एवं भावी चुनौतियों का सामना कर सकें ।

मैक्रो स्तर (Macro Level):

मैक्रो स्तर पर, मानव संसाधन विकास सभी व्यक्तियों के समुचित विकास से सम्बन्धित है । इसमें क्षमता योग्यता निपुणता अनुभव आदि जो व्यक्ति तथा संस्था दोनों के विकास के लिए आवश्यक है, को शामिल किया जाता है । राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक सूचकांकों; जैसे- राष्ट्रीय आय, आर्थिक योजना का भी सम्पूर्ण ध्यान रखा जाता है ।

परन्तु मानव संसाधन के महत्व के बाद भी यह राष्ट्रीय स्तर पर अभी अधिक लोकप्रिय नहीं हो पाया है । सामूहिक स्तर पर महत्वपूर्ण होते हुए भी मानव संसाधन विकास को राष्ट्र स्तर अथवा मैक्रो स्तर पर लोकप्रियता प्राप्त नहीं हुई है ।

किन्तु एक बात अवश्य है कि मानव संसाधन विकास उपलब्ध मानवीय योग्यताओं को पहचानने एवं सुधारने का सामूहिक प्रयास है । अत: मानव संसाधन विकास से लाभान्वित होने के उद्देश्य से इसे माइक्रो एवं मैक्रो स्तर पर समझना अति आवश्यक है ।

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