Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning of Employee Benefits and Services 2. Types of Employee Benefits and Services 3. Significant Benefits and Service Programmes 4. Administration 5. Objectives.   

Contents:

  1. कर्मचारी लाभों तथा सेवाओं का अर्थ  (Meaning of Employee Benefits and Services)
  2. कर्मचारी लाभों तथा सेवाओं के प्रकार (Types of Employee Benefits and Services)
  3. महत्वपूर्ण लाभ तथा सेवा कार्यक्रम (Significant Benefits and Service Programmes)
  4. लाभों तथा सेवाओं का प्रशासन (Administration of Benefits and Services)
  5. लाभ उद्देश्य (Benefit Objectives)


1. कर्मचारी लाभों तथा सेवाओं का अर्थ  (Meaning of Employee Benefits and Services):

कोई भी लाभ जो एक कर्मचारी प्रत्येक पारिश्रमिक के साथ-साथ प्राप्त करता है कर्मचारी लाभ तथा सेवाओं में शामिल हैं । कर्मचारी लाभों तथा सेवाओं को वैकल्पिक तौर पर Fringe, Service Programmes, Employee Benefits या गुप्त पेरॉल (Hidden Payroll) के रूप में जाना जाता है ।

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हमारे देश में लगभग प्रत्येक संगठन अपने कर्मचारियों को लाभ तथा सेवाएँ प्रदान करते हैं । ये अनुलाभ महत्ता में बढ़ते ही जा रहे हैं । इस प्रवृत्ति के लिए अनेक कारण हैं ।

वे कर्मचारियों को बड़ी हुई आय की अभिव्यक्ति करते हैं । वास्तव में, कर्मचारी प्रत्यक्ष वेतन की अपेक्षा अप्रत्यक्ष पारिश्रमिक को प्राथमिकता देते हैं । प्रत्यक्ष वेतन में कोई वृद्धि केवल व्यक्ति की कर योग्य आय में वृद्धि करती है । लेकिन अधिकांश लाभों पर कर नहीं लगता तथा इसलिए कर्मचारियों के लाभ में जुड़ा जाते हैं ।

साथ ही, इसके अनेक आर्थिक कारण हैं कि कर्मचारियों द्वारा लाभों को क्यों प्राथमिकता दी जाती है । स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा समूह दरों पर सेवायोजक द्वारा सामान्यत: खरीदा जा सकता है जो विशिष्टत: उनकी अपेक्षा नीचे होते हैं जो उनको चुकाने पड़ते हैं ।

कर्मचारी भी प्रत्यक्ष वेतन की अपेक्षा अप्रत्यक्ष पारिश्रमिक को प्राथमिकता देते हैं । लाभों में वृद्धि वेतन संरचनाओं को कम गड़बड़ाती है तथा कम्पनी के सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में अंशधारकों को समझाना बहुधा आसान होता है ।

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इसके अतिरिक्त वे बहुधा जटिल वित्तीय व्यवस्थाओं तथा अभिगोपनों का समावेश करते हैं ताकि उनकी सच्ची लागत कर्मचारियों तथा यूनियनों को समझ न आ सके । वेतन ढाँचों तथा वित्तीय व्यवस्थाओं के अतिरिक्त सक्षम कर्मचारियों को आकृष्ट करने तथा बनाये रखने की आवश्यकता होती है ।

एक कर्मचारी ऐसे संगठन में आता हैं तथा बना रहता है जो आकर्षक अनुलाभों की गारन्टी देता है । अवकाशों तथा आराम के क्षणों के साथ छुट्टियाँ कर्मचारियों की थकान कम करने तथा उनकी काम के समय पर उत्पादकता बढ़ाने में सहायता करती है ।

इसी प्रकार अवकाश ग्रहण (Retirement), स्वास्थ्य सुरक्षा (Health-Care) तथा अपंगता लाभ (Disability Benefits) श्रमिकों को चिकित्सा तथा सेवानिवृत्ति लागतों के बारे में चिन्ता से मुक्त रखकर अधिक उत्पादकीय बनने की आज्ञा देते हैं ।

अत: यह कहना असंगत न होगा कि अप्रत्यक्ष पारिश्रमिक प्रदान कर सकते हैं:

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(1) थकान न्यूनतम करना (Mitigate Fatigue),

(2) श्रम अशान्ति को हतोत्साहित करना (Discourages Labour Unrest),

(3) कर्मचारी उद्देश्यों की संतुष्टि (Satisfy Employee Objectives),

(4) भर्ती में सहायक (Aid Recruitment),

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(5) श्रम आवर्त्त में कमी (Reduce Turnover) तथा

(6) ओवरटाईम लागतों में कमी (Minimise Overtime Costs) ।


2. कर्मचारी लाभों तथा सेवाओं के प्रकार (Types of Employee Benefits and Services):

कर्मचारी लाभ तथा सेवाएँ Accident Compensation Plan से Paid Holidays तक अनेक हो सकते हैं ।

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किसी भी लाभ को अनुषंगी लाभ ठहराने के लिए तीन मानदण्डों को पूरा किये जाने की आवश्यकता होती है:

(1) यह मुद्रा के अर्थों में गणना योग्य होनी चाहिए ।

(2) लाभ की राशि सामान्यत: पूर्व निर्धारित नहीं होती ।

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(3) इस प्रकार का कोई अनुबन्ध कि कब राशि देय होती है विद्यमान नहीं होना चाहिये ।

इन तीनों मानदण्डों को देखते हुए Fringes की श्रेणी में अनेक मदों को शामिल किया गया है ।

नीचे हम अनुषंगी लाभ के विषय में व्यापक अध्ययन करेंगे:

अनुषंगी लाभ एक अच्छी कॉरपोरेट छवि बनाने में सहायता करते हैं । ऐसी योजनाएँ जैसे आवास शैक्षणिक संस्थान तथा मनोरंजन गतिविधियाँ समाज को लाभ प्रदान करती हैं । कुछ मामलों में लाभ प्रत्यक्ष होते हैं । एक धार्मिक कार्यक्रम या क्रीड़ा आयोजन या एक कम्पनी स्कूल के लिए कम्पनी अपनी Clientele न केवल कर्मचारियों से जुटाती है वरन् साथ ही आसपास के समाज से भी ।

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दूसरों में, जैसे आवास (Housing) सीमित रहने सहने की सुविधा तथा अतिरिक्त आवास कार्यक्रमों के लिए सार्वजनिक फन्डों की निकासी पर घटते दबाव के रूप में अप्रत्यक्ष लाभ होते हैं । इन सभी का कर्मचारियों को तत्क्षण लाभों की तुलना में कहीं अधिक व्यापक आयाम होता है ।

अत: एक संगठन अनुषंगी लाभों के प्रवेश से, कर्मचारी मनोबल बढ़ाता है, लागत प्रभावी बनाये रखना चाहता है तथा बहुत अधिक विरोध के बिना परिवर्तनों को लागू देता है ।

निर्धारित हुए लाभ (Assessing Benefits):

भविष्य निधि परिवार पैंशन योजना, कर्मचारी जमायुक्त बीमा योजना तथा ग्रेच्युटी भुगतान के उपरोक्त लाभ कर्मचारी तथा उसके परिवार को सुरक्षा तथा कल्याण प्रदान करने में व्यवस्था करते हैं । वैसे ये उपाय अपर्याप्त तथा क्षेत्र की दृष्टि से सीमित रहे हैं ।

परन्तु अतिरिक्त लाभों की व्यवस्था करना एक लम्बी प्रक्रिया है और यह बहुत कुछ उस संगठन के साधनों पर निर्भर करता है जिसको लाभ चुकाने हैं लेकिन कम से कम इन योजनाओं का क्षेत्र व्यापक रूप से अवश्य बढ़ाया जा सकता है ।

सभी सामाजिक सुरक्षा संग्रहणों को एक-साथ मिलाकर एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजना की ओर धीरे-धीरे कार्य करके एक आदर्श व्यवस्था स्थापित की जा सकती हैं, जिन्हें विभिन्न संस्थाएँ आवश्यकता के अनुसार विभिन्न लाभों के भुगतान हेतु निकाल सकती हैं ।

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अनुमानित अंशदान के आधार पर प्रत्येक वर्ष एक बजट बनाया जा सकता है जिसे वर्ष के दौरान सम्भावित भुगतानों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जा सकता है ।

मजदूरी निर्धारण मशीनरी (Wage Fixing Machinery):

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम की परिधि में न आने वाली औद्यौगिक संस्थाओं की मजदूरी निर्धारण के लिए अनेक सुव्यवस्थित प्रविधियाँ होती हैं । संयंत्र स्तर पर सामूहिक सौदेबाजी, मजदूरी विवादों के समाधान में बन्दोबस्त, विभिन्न उद्योगों में मजदूरी पुनरावृति द्विपक्षीय समितियाँ, औद्योगिक ट्रिब्युनलों द्वारा निर्धारण तथा स्वैच्छिक पंचनामे तथा मजदूरी बोर्ड अनेक ऐसी विधियाँ हैं, जिनका भारत में प्रयास किया गया है ।

सामूहिक सौदेबाजी को मजदूरी तथा कार्य घंटों के समझौते के लिए भली प्रकार अपनाया जा सकता है । परन्तु दुर्भाग्य से यह विधि अनेक मामलों में कार्यान्वयन योग्य नहीं पायी गई है । परिणामस्वरूप सरकार को विभिन्न उद्योगों के लिए विविध मजदूरी बोर्डों की नियुक्ति करनी पड़ी है ।

एक मजदूरी बोर्ड में सामान्यत: एक स्वतंत्र अध्यक्ष (सरकार द्वारा नियुक्त) तथा प्रबन्ध के दो प्रतिनिधि एवं कार्यशाला के दो प्रतिनिधि तथा सरकार द्वारा मनोनीत दो स्वतंत्र सदस्य होते हैं । मजदूरी बोर्ड पक्षकरों को एक साथ-साथ बैठाकर तीन तरीके से विवादों को हल करने में सहायता करता है तथा किसी भी पक्षकार पर अपने निर्णय बलपूर्वक नहीं थोपता । यह केवल सिफारिशें दे सकता है क्योंकि इसको कोई वैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं होती । लेकिन सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए बोर्ड की सिफारिशें निर्णय मानी जाती हैं तथा पक्षकारों पर लागू हो जाती हैं ।

मजदूरी बोर्डों की मुख्य आलोचनाएँ हैं:

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(1) सार्वजानिक सुनवाई के कारण अत्यधिक समय-साध्य प्रविधि से अनावश्यक देरी;

(2) उच्चतम दूरी तथा उत्पादकता के बीच कोई निश्चित सम्बन्ध नहीं होता;

(3) मजदूरी संरचना में कोई वैज्ञानिक तत्व नहीं होता;

(4) मजदूरी बोर्डों ने सामूहिक सौदेबाजी को हतोत्साहित किया है । वैसे मजदूरी का प्रमापीकरण व्यापक क्षेत्र में हो चुका है ।

अब ऐसी प्रवृत्ति निरन्तर बढ़ रही है कि व्यापक द्विपक्षीय समझौते हों । द्विपक्षीय समझौता समितियाँ भी प्रयास कर चुकी हैं । लेकिन देश में अब भी उत्पादकीय सौदेबाजी प्रचलित नहीं हुई है ।


3. महत्वपूर्ण लाभ तथा सेवा कार्यक्रम (Significant Benefits and Service Programmes):

कुछ संगठन व्यापक मात्रा में अनुलाभ प्रदान करते हैं ।

नीचे कुछ महत्वपूर्ण लाभों का उल्लेख किया जा रहा है:

(1) न काम किये गये समय के लिए भुगतान (Payment for Time not Worked):

कम्पनियाँ दोनों ही स्तरों पर, काम पर तथा काम से हटकर (On and Off the Job) न किये गये काम वाले समय के लिए भुगतान करती हैं । कार्य पर Free Time में शामिल हैं Lunch Periods, Rest Periods, Coffee Breaks, Wash-Up Time and Get-Ready Times । काम से हटकर समय (Off-the-Job Time) में शामिल हैं अवकाश (Vacations), रुग्णता अवकाश (Sick Leaves), सार्वजनिक अवकाश (Public Holidays) तथा व्यक्तिगत एवं आकस्मिक छुट्टियाँ ।

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(2) बीमा लाभ (Insurance Benefits):

संगठन अपने कर्मचारियों को जीवन तथा स्वास्थ्य बीमे के कार्यक्रम प्रदान करते हैं । अधिकांश संगठन उससे अत्यन्त नीची लागत पर बीमा प्रदान करते हैं जो लोगों को स्वयं ही बीमा खरीदने के लिए चुकानी पड़ती ।

(3) क्षतिपूर्ति लाभ (Compensation Benefits):

अपंगता तथा श्रमिक क्षतिपूर्ति लाभ भी कर्मचारियों को दिये जाते हैं । सेवायोजक ऐसे कर्मचारियों की सहायता के लिए कोष एकत्रित करते हैं जो बीमार या पीड़ित होते हैं तथा पेशेगत दुर्घटना या बीमारी के कारण काम नहीं कर सकते हैं । इन लाभों को Workmen’s Compensation Act द्वारा नियंत्रित किया जाता है ।

(4) पेंशन योजनाएँ (Pension Plans):

अधिकांश संगठन श्रमिकों को उनके सेवानिवृत्त होने के बाद पूरक आय वाली योजनाओं से लाभान्वित कराते हैं । ये या तो कम्पनी द्वारा चुकाई जाती हैं या कर्मचारी एवं कम्पनी द्वारा संयुक्त तौर पर ।

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संगठन पेंशन के साथ-साथ सेवानिवृत्त होने पर कर्मचारी को ग्रेच्युटी भी चुकाते हैं । लेकिन ग्रेच्युटी की एक अधिकतम सीमा होती है जो हो सकता है उचित न हो । यदि किसी कर्मचारी ने लम्बे समय तक संगठन में सेवा की है तो इस बात का कोई कारण नहीं है कि उसको अधिक ग्रेच्युटी के लाभों से मना किया जाये ।

एक कम्पनी की सामाजिक सुरक्षा तथा श्रमिक के क्षतिपूर्ति अंशदान कानून द्वारा तय किये जाते हैं । लेकिन अन्य प्रकार के लाभों के लिए कितना अंशदान करना है यह कम्पनी को स्वयं तय करना पड़ता है ।

कुछ संगठन तो सम्पूर्ण व्यय ही स्वयं ही कर देते हैं जबकि दूसरे कतिपय लाभों की लागत का एक प्रतिशत चुकाते हैं जैसे स्वास्थ्य तथा बीमा, तथा दूसरों की सारी लागत वहन कर लेते हैं ।

संगठन अपने कर्मचारियों को लाभान्वित करने के नये-नये तरीके खोज रहे हैं । उदाहरण के लिए Modi Xerox ने एक वार्षिक Achievement Award स्थापित किया जो ग्राहक संतुष्टि, लाभ, प्रक्रिया सुधार या टीम भावना सुधार के प्रति कर्मचारी के योगदान की मान्यता लेता है तथा प्रत्येक टीम सदस्य को रु 500 का एक चैक तथा एक सम्मान पट्टिका प्रदान की जाती है ।

साथ ही इस कम्पनी ने एक Exceptional Performance Award भी रखा है जिसके लिए टीम, कारखाने तथा राष्ट्रीय-स्तर के प्रबन्धकों से नामांकन लिए जाते हैं जिसमें प्रति व्यक्ति रु 3,000 का पुरस्कार तथा एक प्लेक (Plaque) ऑफर किये जाते हैं ।

साथ ही, राष्ट्रीय विजेता Xerox President’s Award में भी भाग ले सकते हैं जो एक व्यक्ति या टीम द्वारा सतत उच्च निष्पत्ति के प्रति अद्भुत योगदान को सम्मानित करता है ।

Colgate-Palmolive में एक त्रिस्तरीय योजना है जिसके अन्तर्गत आप कर्मचारियों से आविष्कारात्मक विचारों तथा उपक्रमी गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए अपेक्षा कर सकते हैं । प्रत्येक तिमाही में स्थानीय स्तर पर तथा प्रत्येक वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार दिये जाते हैं तथा सर्वोच्च दो कम्पनियों को अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता हेतु प्रतिस्पर्द्धा का अवसर दिया जाता है ।

क्लब की सदस्यता भी अत्यधिक लोकप्रिय है । उदाहरण के लिए NIIT ने एक Managing Director’s Quality Club (MDQC) की स्थापना की है तथा हाल ही में एक President’s Club बनाया है । नामांकन सभी क्षेत्रों से आते हैं जो सभी 2200 NIIT Employee का समावेश करते हैं तथा कर्मचारी के योगदान तथा निष्पत्ति पर आधारित होते हैं ।

नामांकनों में स्वयं प्रबन्ध निदेशक द्वारा 15 से 18 तक व्यक्ति शॉटलिस्ट किये जाते हैं । इन सभी कर्मचारियों से आशा की जाती है सम्पूर्ण गुणवत्ता कार्यक्रम (Total Quality Management) पर प्रबन्ध निदेशक के निकट में काम करें । यह ऐसे कर्मचारियों के लिए एक सम्मान का विषय माना जाता है ।

दूसरी ओर, President’s Club के सदस्यों को गति तथा आविष्कार के आधार पर नोट किया जाता है । पुन: 18 विजेता NIIT President के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि संगठन समृद्ध हो सके । इसी तरह से Modi Xerox ने एक Honours Club की स्थापना की है जो उत्कृष्ट निष्पत्ति को मान्यता देता है अभी तक 350 कम्पनी से कर्मचारी यह सम्मान पा चुके हैं जिनको All-Expenses Paid Holiday, Abroad उपलब्ध है ।

क्लब की सदस्यता यहाँ तक कि गैर-सदस्य को भी उपलब्ध होती है जो संगठन में रहा है । उदाहरण के लिए NIIT ने अपने कर्मचारियों के लिए एक Old Timers Club भी बनाया है जो पाँच सालों तक कम्पनी में रहे हैं तथा उनके लिए एक Real Old Timers Club जिन्होंने 10 साल पूरे कर लिए हैं । दोनों ही क्लबों के सदस्य Plaques के साथ-साथ विशेष मान्यता पाते हैं ।

साथ ही NIIT ने अपने पुरुष कर्मचारियों के लिए Paternity Leave भी शुरू की हैं । Flexi-Time Employment एवं 200 रुपये के अतिरिक्त यात्रा भत्ते के साथ- साथ नये माता पिताओं को New Year Day को Gratitude Day के रूप में नामजद किया जा चुका है तथा यह सभी के लिए अनिवार्य छुट्टी का दिन होता है ।

Colgate Palmolive Modi Xerox तथा NIIT अपने-अपने कर्मचारियों के बच्चों के लिए Annual Paintings Contests भी आयोजित करते हैं । NIIT पुरस्कार जीतने वाली पेंटिंग्स को अपने कलैन्डर के लिए काम लाता है ।


4. लाभों तथा सेवाओं का प्रशासन (Administration of Benefits and Services):

अप्रत्यक्ष पारिश्रमिक की मुख्य समस्या कर्मचारी भागीदारी का अभाव होती है । एक बार जब एक अनुलाभ कार्यक्रम कम्पनी द्वारा शुरू कर दिया जाता है तो कर्मचारियों को शायद ही कोई विवेक बचता हो ।

उदाहरणार्थ सभी कर्मचारियों को एक सी पैंशन ही मिलती है । नवयुवक कर्मचारी पेंशन को एक दूरदराज की तथा व्यापक तौर पर असंगत मानकर चलते हैं । बूढ़ी महिला कर्मचारी महसूस करती हैं कि मातृत्व लाभों की आवश्यकता ही नहीं है ।

लाभों की समरूपता एक श्रमशक्ति की विविधता को समझने में असफल रहती है । निश्चय ही समरूपता प्रशासनिक तथा गणनात्मक मितव्ययताओं की ओर ले जाती है लेकिन जब कर्मचारी ऐसे लाभ पाते हैं जिनको न तो वे चाहते हैं और न ही उनको जरूरत है, तो ये मितव्ययताएँ प्रश्नों के घेरे में आ जाती है ।

प्रबन्धकों का भी इन लाभ कार्यक्रमों में हल्का सा ही हित होता है तथा श्रम संघ योजनाओं के प्रति आक्रामक ही रहते हैं । प्रबन्धक कम्पनी के जीवन की गुणवत्ता के प्रति उनके योगदान तथा लाभों के प्रति कम्पनी की नीति से बखूबी परिचित नहीं होते ।

ट्रेड यूनियन्स कटाव की एक अनुभूति अनुभव करते हैं क्योंकि इन लाभों से उनका आधार कमजोर हो सकता है । चूंकि अपने Benefit Packages में कर्मचारियों के पास शायद ही कोई चयन हो अंत: अधिकांश कर्मचारी उन सभी लाभों के प्रति बेखबर होते हैं जिनके लिए उनका हक बनता है ।

जानकारी की कमी बहुधा कर्मचारियों को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए और अधिक लोगों की प्रार्थना के लिए उकसा देती है । उदाहरण के लिए, अपेक्षाकृत ज्यादा उम्र के कर्मचारी अच्छी सेवानिवृत्ति योजना चाह सकते हैं, जबकि युवा कर्मचारी आश्रितों के लिए परिष्कृत बीमा कवरेज की बात कर सकते है ।

परिणाम बहुधा होता है लाभों में खींचातानी तथा सेवायोजक की बढ़ी लागतें । शायद इससे भी बुरा होता है कि कर्मचारी मतिभ्रम उनके Fringe Benefits Package के बारे में शिकायतों तथा असंतुष्टि की ओर ले जा सकता है, विशेषत: जब कर्मचारियों को वित्तीय तौर पर कोई अंशदान नहीं करना होता है ।

इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है यदि निम्न व्यवस्था की जाये जब अप्रत्यक्ष पारिश्रमिक का प्रशासन किया जा रहा हो ।

ये चरण हैं:

(1) लाभ उद्देश्यों की स्थापना (Establishing Benefit Objectives),

(2) वातावरणीय घटकों का आकलन (Assessing Environmental Factors),

(3) प्रतिस्पर्द्धा का आकलन (Assessing Competitiveness : How Should our Benefits Compare to our Competitors),

(4) लाभ सूचनाओं का सम्प्रेषण (Communicating Benefit Information),

(5) लाभ लागतों का नियंत्रण तथा मूल्यांकन (Controlling Benefit Costs and Evaluation) ।


5. लाभ उद्देश्य (Benefit Objectives):

प्रबन्ध के लिए यह आवश्यक होता है कि अपने लाभ कार्यक्रमों के लिए उद्देश्यों को स्थापित किया जाये । उद्देश्यों को स्थापित करने में प्रबन्ध अनेक घटकों पर विचार कर सकता है ।

ऐसा एक विचार है लाभों के लिए कर्मचारी की प्राथमिकता (Preference) । कार्मिक/मानव संसाधन परिणाम-उपस्थिति, सेवा की अवधि तथा निष्पत्ति को भी लक्ष्य निर्धारण प्रक्रिया में पूरा ध्यान मिलना चाहिये ।

वस्तुत: लाभों से चार उद्देश्यों का निर्वाह होता है:

(1) बाहरी प्रतिस्पर्द्धा को विकसित करना (Fostering External Competitiveness),

(2) लागत प्रभावोत्पादकता को बढ़ाना (Increasing Cost Effectiveness),

(3) कर्मचारियों की व्यक्तिगत जरूरतों पर खरा उतरना (Meeting Individual Employee’s Needs and Preferences),

(4) वैधानिक अनिवार्यताओं का पालन करना (Complying with Legal Compulsions) ।

उद्देश्य चाहे जो भी हों उनको भुगतान करने की संगठन की योग्यता को प्रदर्शित करना चाहिये ।

वातावरण का आकलन (Assessing Environment):

एक कम्पनी के अप्रत्यक्ष पारिश्रमिक कार्य क्रमों को बाहरी तथा साथ ही साथ आन्तरिक घटक प्रभावित करते हैं । बाहरी घटकों में जैसे सरकारी नीतियाँ तथा विधान (Government Policies and Regulations), यूनियन्स एवं आर्थिक घटक शामिल हैं ।

महत्वपूर्ण नीतियाँ जो कर्मचारी लाभों तथा सेवाओं को प्रभावित करती हैं- मजदूरी नियंत्रण (Wage Regulation), कर नीतियाँ (Tax Policies), तथा विशिष्ट लाभ सन्नियम (Specific Benefit Laws) । सरकारी नीतियों के साथ-साथ यूनियन्स लाभों तथा सेवाओं में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण शक्ति होती हैं ।

जब श्रम संघ तथा प्रबन्ध मजदूरी समझौतों के लिए बैठते हैं तो लाभ तथा सेवाएँ उनके विचार विनियम में बढ़-चढ़कर सामने आते हैं तथा किया गया निपटारा पक्के तौर पर कर्मचारी के लाभार्थ अप्रत्यक्ष पारिश्रमिक का समावेश करता है । आर्थिक घटक परस्पर विरोधी तरीकों में लाभ निर्णयों को प्रभावित करते हैं ।

अपने मालों तथा सेवाओं के लिए प्रतिस्पर्द्धी मूल्य पाने के लिए पारिश्रमिक करते हुए प्रबन्धक श्रम लागतों में कमी लाने की ओर जाते हैं । चूंकि अप्रत्यक्ष पारिश्रमिक श्रम लागतों के एक बड़े भाग की अभिव्यक्ति करते हैं अत: लाभ तथा सेवाएँ लागत-घटौती अभियान में उच्च प्राथमिकता पाते हैं ।

दूसरी ओर उत्पादकीय कर्मचारियों को संस्था की ओर आकृष्ट करने तथा बनाये रखने के लिए श्रम बाजार में प्रतिस्पर्द्धा उनके द्वारा प्रदत्त लाभों के साथ मिलान करने के लिए दबाव बनाती है । संगठनात्मक रणनीतियाँ तथा उद्देश्य, कर्मचारी प्राथमिकताएँ तथा भौगोलिक लक्षण कर्मचारी लाभों तथा सेवाओं के आन्तरिक वातावरण का सृजन करते हैं ।

एक बढ़ते या परिपक्व उद्योग में एक बड़ा सुव्यवस्थित सेवायोजक, उदाहरण के तौर पर, अपेक्षाकृत अच्छे लाभ पैकेजों को ऑफर कर सकता है । लेकिन एक छोटी नवनिर्मित कम्पनी को हो सकता है कि अनके लाभों से जुड़ी भारी स्थिर लागतें, विशेषत: पेन्शन सभी वित्तीय भार डाल सकती हैं ।

इसके स्थान पर ऐसे संगठन प्रोत्साहन वेतन या लाभ विभाजन पर जोर देते हैं जिनकी लागत कम्पनी के लाभों के साथ बदलती है तथा बीमा एवं अन्य स्थिर लागत लाभों के प्रति जोर नहीं देते ।

संगठन में किसी कर्मचारी विशेष की प्राथमिकताएँ (Preferences and Demographics) भी अप्रत्यक्ष पारिश्रमिक को प्रभावित करते हैं । अधिकांश कर्मचारी लाभ कर मुक्त (Tax Free) होते हैं तथा इसलिए अधिक आय वाले कर्मचारियों को अच्छे लग सकते हैं ।

श्रमिकों का एक बड़ा भाग ऐसे कर-मुक्त लाभों द्वारा शायद ही आकर्षित हो । उनके लिए अपेक्षाकृत कम कर लाभ विद्यमान होते हैं, या इन कर्मचारियों की अधिक तत्क्षण जरूरतें हो सकती हैं जिनको केवल रोकड़ी लाभों से ही पूरा किया जा सकता है ।

इसी तरह से कॉलेज जाने वाले बच्चों या विवाह योग्य बेटियों वाले कर्मचारी अलग लाभों को प्राथमिकता दे सकते हैं उनकी तुलना में जो वर्किंग जीवन साथियों तथा ऐसे बच्चों जो अभी स्कूल जाने वाली आयु के नहीं है के साथ नये-नये भर्ती हुए हैं ।

प्रतिष्ठावर्द्धात्व (Competitiveness):

बहुधा संगठन उनके प्रतिस्पर्द्धियों द्वारा प्रदत्त अनुलाभों का अनुसरण करते हुए या उनसे भी आगे बढ़कर लाभ ऑफर करते हैं । प्रतिस्पर्द्धियों के लाभ पैकेजों का कैसे निर्धारण किया जाये ? इनका पेशेवर संघों तथा परामर्शदाताओं द्वारा अंजाम दिये गये बाजार सर्वेक्षणों के माध्यम से आकलन किया जाता है ।

ये सर्वेक्षण ऑफर किये गये विभिन्न लाभों, उनके कवरेज, पात्रता तथा लागतों के ऊपर प्रदान करते हैं । ये डाटा कर्मचारियों की दूसरों के द्वारा दिये गये अनुलाभों की लागतों एवं लाभों की प्रतिस्पर्द्धा का आकलन करने की आज्ञा देते हैं ।

लाभों का सम्प्रेषण (Communicating the Benefits):

लाभ कार्यक्रमों को बुकलैट्‌स ब्राऊशर्स, स्लाईड प्रस्तुतियों तथा नियमित कर्मचारियों की सभाओं के माध्यम से कर्मचारियों को बताया जाना चाहिये । एक प्रभावी तकनीक होती है कर्मचारी क्लैन्डर्स का प्रयोग जो सम्पूर्ण पारिश्रमिक प्रखण्डों का संचार कर देता है ।

कलैन्डर का प्रत्येक माह एक लाभ प्राप्त कर रहे कम्पनी कर्मचारी को दिखाता है । उदाहरण के लिए एक माह एक नया घर बनाते हुए एक कर्मचारी के फोटों को ‘फीचर’ कर सकता है, जो कम्पनी की बचत योजना के माध्यम से बना हो । अगले माह कम्पनी की चिकित्सा योजना की उपादेयता को ‘फीचर’ किया जा सकता है ।

संचार कर्मचारियों के अज्ञान को हटाने में सहायता करता है (तथा सेवायोजकों का अज्ञान भी) अप्रत्यक्ष पारिश्रमिकों के सम्बन्ध में/साथ ही, सेवायोजक कर्मचारियों को इस बारे में प्रबुद्ध करके कि कम्पनी उनके लिए क्या करती है अच्छे कर्मचारी अनुलाभों के गुणों तथा उत्पादकता में वृद्धि हेतु समर्थ बन सकता है जो कुछ श्रमिकों की Pay Slips से नहीं दिखता ।

मूल्यांकन तथा नियंत्रण (Evaluation and Control):

अनुलाभों की उपादेयता के आकलन का एक तरीका है यह ज्ञात करना कि किस हद तक अप्रत्यक्ष मौद्रिक योजनाओं के पक्ष में जताये गये लाभों ने वास्तव में कर्मचारियों का हित किया है ।

प्रश्न इस सन्दर्भ में अहम हो जाते हैं:

(1) क्या कर्मचारियों की आयें सुधरी हैं ?

(2) क्या लाभ सक्षम लोगों को आकृष्ट करने तथा बनाये रखने में सफल रहे हैं ?

(3) क्या कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा है ?

(4) क्या औद्योगिक सम्बन्ध सुधरे हैं ?

इन प्रश्नों के तथा अन्य सम्बद्ध सवालों के उत्तर मानव संसाधन प्रबन्धकों की मदद करते हैं अनुलाभों की प्रभावोत्पादकता के आकलन में तथा साथ ही लाभ उद्देश्यों की पुन: व्यवस्था करने में ।

लागतों पर प्रभाव (Effect on Costs):

इन लाभों की लागत उनकी प्रभावोत्पादकता का एक विश्वसनीय परीक्षण होती है ।

कर्मचारी अनुलाभ लागतों को निम्न आधारों पर ज्ञात किया जा सकता है:

(1) सभी कर्मचारियों के लिए वार्षिक तौर पर अनुलाभों की कुल लागत ।

(2) प्रतिवर्ष प्रति कर्मचारी लागत ।

(3) वार्षिक वेतन से उनका प्रतिशत ।

(4) प्रति घंटा प्रति कर्मचारी लागत ।

इस प्रकार प्राप्त हुआ डाटा निम्न तरीके से जाँचा जा सकता है:

(a) लागत केन्द्र के आधार पर, वेतन वर्गीकरण (Payroll Classification) द्वारा सभी लाभों तथा सेवाओं के लिए कम्पनी की आन्तरिक लागत का परीक्षण ।

(b) बाहरी मानदण्डों के साथ लाभों के लिए कम्पनी की लागतों की तुलना ।

उदाहरण के लिए कम्पनी के औसतों को उद्योग के औसतों से मिलाकर देखना तथा प्रत्येक लाभ के लिए तथा सम्पूर्ण पैकेज के लिए तुलना करना ।

(c) निर्णयनकर्त्ता के लिए एक रिपोर्ट तैयार करना । (चरण 1 तथा 2 को प्रतिरोधित करके तथा मुख्य विचलनों को सुर्खियों में लाना) ।

(d) कर्मचारियों के प्रति कार्यक्रम की लागतों की समीक्षा । निर्धारण करना कि लाभों के लिए, सम्पूर्णत: तथा लाभानुसार, प्रत्येक कर्मचारी क्या कुछ चुका रहा है ।

(e) बाहरी सर्वेक्षण डाटा के साथ चरण 4 में डाटा की तुलना करना ।

(f) समीक्षा करना कि कर्मचारी सेवायोजक के कार्यक्रम से संतुष्ट है प्रतिस्पर्द्धी के कार्यक्रम की तुलना में ।

उपर्युक्त आधारों पर अवधिगत कार्यवाही न केवल लाभ लागतों को नियंत्रित करेगी वरन् साथ ही अनुलाभों की उपादेयता भी सुनिश्चित करेगी ।


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