Read this article in Hindi to learn about the various training schemes in India.

कर्मचारियों की प्राप्ति के पश्चात् उन्हें बनाये रखना तथा उनका विकास करना सेविवर्गीय प्रबन्ध का एक मुख्य कार्य है । कर्मचारियों के विकास से ही संस्था में भौतिक संसाधनों का श्रेष्ठतम उपयोग सम्भव है । प्रशिक्षित एवं कुशल कर्मचारियों से न केवल औद्योगिक प्रतिष्ठान का ही विकास होता है बल्कि इससे सम्पूर्ण औद्योगिक विकास होता है ।

औद्योगिक विकास के लिए, केवल श्रमिकों को ही प्रशिक्षित करना पर्याप्त नहीं है क्योंकि श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के लिए भी प्रशिक्षकों अथवा विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है ।

इसके अतिरिक्त बेरोजगार युवकों को भी पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे कुशल मानवीय संसाधनों का विकास हो ताकि भविष्य में औद्योगिक प्रतिष्ठानों में इनका श्रेष्ठतम उपयोग किया जा सके ।

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अतः श्रमिकों/कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है एवं कुशल विशेषज्ञों की प्राप्ति के लिए पर्याप्त संख्या में शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थाओं का होना आवश्यक है ।

भारत में उपर्युक्त वर्णित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रशिक्षण योजनाएँ शुरू की गई हैं । यह योजनाएँ रोजगार तथा प्रशिक्षण महानिर्देशालय (Director General Employment and Training) के निर्देशन में शुरू की गई हैं ।

इस महानिर्देशालय द्वारा श्रमिकों के प्रशिक्षण की विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रहीहैं । शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (Craftsman Training Scheme) के अन्तर्गत शिल्प प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद् (National Council of Vocational Training) की स्थापना की गई है ।

वर्ष 1991 में देश में इन परिषदों की संख्या 981 थी किन्तु देश की औद्योगिक आवश्यकताओं को देखते हुए नई व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषदों का विस्तार किया गया है । वर्ष 1994 में इन परिषदों की संख्या को बढ़ाकर 1,038 कर दिया गया ।

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शिक्षु अधिनियम, 1961 (Apprentices Act, 1961) के अन्तर्गत शिक्षुओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है । वर्ष 1991 में 1,29,289 शिक्षुओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई जबकि वर्ष 1994 में 1,38,243 शिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया गया । उपर्युक्त कड़े सारणी संख्या 9.1 (Table No. 9.1) में दिए गए हैं ।

इसी प्रकार शिल्पकार प्रशिक्षण योजना के अन्तर्गत ही, इंजीनियरी व्यवसाय (Engineering Trade) एवं गैर-इंजीनियरी व्यवसायों (Non-Engineering) के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाता है । इंजीनियरी व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण की अवधि 6 महीने से 2 वर्ष है और गैर इंजीनियरी व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण की अवधि 1 वर्ष है ।

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प्रथम योजना के अन्त तक इस योजना में 27,000 इंजीनियरी व्यवसायों एवं 11,000 गैर-इंजीनियरी व्यवसायों के प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया । मार्च, 1987 के अन्त तक (सातवीं योजना) कुल प्रशिक्षणार्थियों की संख्या बढ़कर 16,77,000 हो गई, जिनमें से 14,74,000 प्रशिक्षणार्थियों गैर-इंजीनियरी व्यवसाय से हैं । यह आंकड़े सारणी संख्या 9.2 (Table No. 9.2) दिए गए हैं ।

कारखाना सलाह सेवा और श्रम संस्थान महानिर्देशालय (Director General Factory Advice and Service and Labour Institute) द्वारा सुरक्षा अधिकारियों के लिए चार श्रम संस्थानों (Labour Institutes) में एक वर्ष के डिप्लोमा कोर्स का आयोजन किया गया है ।

यह चार श्रम संस्थान निम्नलिखित हैं:

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(a) केन्द्रीय श्रम संस्थान, मुम्बई (Central Labour Institute, Mumbai),

(b) क्षेत्रीय श्रम संस्थान, कोलकाता (Regional Labour Institute, Kolkata),

(c) क्षेत्रीय श्रम संस्थान, कानपुर (Regional Labour Institute, Kanpur),

(d) क्षेत्रीय श्रम संस्थान, चेन्नई (Regional Labour Institute, Chennai) ।

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इसके अतिरिक्त श्रम संस्थान महानिर्देशक प्रतिष्ठानों के अनुरोध पर केन्द्रीय एवं श्रेत्रीय श्रम संस्थानों (Central and Regional Labour Institute) में औद्योगिक सुरक्षा/व्यवसाय (Industrial Safety/Health), स्टाफ प्रशिक्षण (Staff Training) एवं अन्य सम्बद्ध विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करता है ।

प्रशिक्षण विषय एवं अवधि का निर्णय प्रत्येक प्रकरण (Case) में आवश्यकता अनुसार किया जाता है । इससे सम्बन्धित कड़े सारणी संख्या 9.3 (Table No. 9.3) में दिए गए हैं ।

xएक दिवसीय/अर्द्ध दिवसीय कार्यक्रम भी सम्मिलित हैं । (Includes One Day/Half Day Programmes Also)

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भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने श्रमिकों को अपने संघों तथा सामाजिक व आर्थिक जीवन में सक्रिय रूप से भागीदारी के लिए तैयार करने के उद्देश्य से 1958 में केन्द्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board for Workes Education) की स्थापना की है । इस बोर्ड में केन्द्रीय सरकार, राज्य सरका,र नियोक्ता तथा श्रमिकों के प्रतिनिधियों व श्रम विशेषज्ञों को शामिल किया गया है ।

इसके अन्तर्गत शिक्षा-कार्यक्रम को तीन चरणों में बांटा गया है:

(i) शिक्षक-प्रशासकों को शिक्षा ।

(ii) शिक्षक-प्रशासकों द्वारा शिक्षा ।

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(iii) विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों/संस्थाओं से आने वाले श्रमिक-शिक्षकों को प्रशिक्षण ।

इसके अतिरिक्त CBWE (Central Board for Workers Education) द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तृत विवरण सारणी संख्या : 9.4 (Table No. 9.4) में दिया गया है ।

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