Read this article in Hindi to learn about the ten ways which can help in raising employee’s morale.

प्रबन्धक को कर्मचारी मनोबल ऊँचा उठाने के लिए हर सम्भव प्रयत्न करना चाहिए ।

कर्मचारियों का संस्था की नीतियों में विश्वास एवं आस्था और हित एकता बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं:

1. रुचिपूर्ण एवं सही श्रेणी का काम:

कार्य-विभाजन करते समय कर्मचारियों को उनकी रुचि, योग्यता और प्रतिभा के अनुकूल ही काम दिया जाना चाहिए जिससे वे सच्ची लगन और कर्तव्यपरायणता से अपने कर्तव्य का पालन कर सकें । अत: कर्मचारियों को अपने काम से पूर्ण सन्तोष मिलना चाहिए ।

2. भावी उन्नति की आशा:

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जब कर्मचारी को अपने कार्य की निश्चितता होती है और इसके साथ-साथ भावी उन्नति की न्यायपूर्ण आशा होती है तब कर्मचारी मनोबल ऊँचा उठना स्वाभाविक होता है । इससे कर्मचारी और संस्था के बीच हित एकता बढ़ जाती है और कर्मचारी सच्ची लगन और परिश्रम से काम करते हैं ।

3. प्रेरणात्मक पारिश्रमिक प्रणाली:

कर्मचारियों की पारिश्रमिक प्रणाली प्रेरणात्मक होनी चाहिए जिससे उन्हें कार्य का सन्तोषजनक पारिश्रमिक मिल सके । वर्तमान महँगाई के समय मुद्रा सबसे बड़ी सार्थक प्रेरणा है जिससे कर्मचारी का अपना परिवार सुखी जीवन व्यतीत कर सके ।

4. मानवोचित व्यवहार:

संस्था के प्रबन्धक एवं स्वामियों का कर्मचारियों के साथ मानवोचित व्यवहार करना चाहिए जिससे कर्मचारियों को मानसिक सन्तोष प्राप्त हो सके कि उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाता है, उनके आत्म-सम्मान और व्यक्तित्व को सराहा जाता है ।

5. कार्य का वातावरण:

कर्मचारियों के मनोबल पर कार्य के वातावरण का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है क्योंकि जब कर्मचारी सन्तोषजनक वातावरण में कार्य करते हैं तब उनका मनोबल ऊंचा उठ जाता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता और उत्पादकता दोनों ही प्रभावित होती हैं ।

6. प्रभावी सम्प्रेषण व्यवस्था:

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संस्था में प्रभावी सम्प्रेषण व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कर्मचारियों को सभी आदेश एवं निर्देश उचित समय पर प्राप्त हो सकें और इसी प्रकार कर्मचारियों के सुझाव एवं शिकायतों को समय रहते हुए सुना जा सके और उसी के अनुसार आदेश एवं निर्देशों में परिवर्तन किया जा सके । इससे अधीनस्थों की भ्रान्तियाँ दूर होंगी और उन्हें कार्य करने के लिए अधिक बल मिलेगा ।

7. कर्मचारियों में पारस्परिक प्रेम-भावना:

प्रबन्धकों का यह कर्तव्य हो जाता है कि वे कर्मचारियों में पारस्परिक प्रेम-भावना का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सभी साधनों से बढ़ाते रहें । जो प्रबन्धक अपने कर्मचारियों का समूह प्रेम जीतने में सफल हो जाता है, वह व्यक्ति और संस्था के हितों का एकाकार करने में भी सफल हो जाता है जिसका परिणाम यह होता है कि विरोधी कर्मचारी भी सहयोगी बन जाते हैं ।

8. शिकायत सुनना, समझना और दूर करना:

जिस संस्था में प्रबन्धक अपने कर्मचारियों की शिकायत एवं सुझावों को सुनने, समझने एवं दूर करने का प्रयास करते हैं वे अपने कर्मचारियों का हृदय जीत लेते है और इसका कर्मचारी मनोबल पर प्रत्यक्ष एवं गुणात्मक प्रभाव पड़ता है ।

9. ईमानदार नेतृत्व:

संस्था का नेतृत्व जो दूसरों का मार्गदर्शन करता है स्वयं में ईमानदार होना चाहिए । जिस प्रकार युद्ध-भूमि में सेना का मनोबल अपने सेनापति के रण-कौशल और नेतृत्व पर निर्भर रहता है ठीक उसी प्रकार संस्था के कर्मचारियों का मनोबल अपने पर्यवेक्षक एवं प्रबन्धकों के ईमानदार होने पर निर्भर करता है ।

10. श्रम कल्याण सम्बन्धी कार्य:

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वर्तमान औद्योगिक नीति में श्रम-कल्याण सम्बन्धी कार्यों का अपना विशेष महत्व है क्योंकि इन कार्यों का कर्मचारी मनोबल में प्रत्यक्ष सम्बन्ध है ।

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