Read this essay in Hindi to learn about the main components of the micro environment of business.

Essay # 1. आपूर्तिकर्ता (Supplier):

आपूर्तिकर्ता वे लोग होते हैं जो व्यवसाय के लिए कच्चे माल की आपूर्ति करते हैं । व्यवसाय के विशिष्ट पर्यावरण में आपूर्तिकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।

आपूर्तिकर्त्ता का महत्व (Significance of Supplier):

(a) व्यवसाय के सतत् व सुव्यवस्थित संचालन के लिए विश्वसनीय आपूर्ति साधन का अपना अलग महत्व है । आपूर्ति में अनिश्चितता के कारण सम्बन्धी अपनी आवश्यकता से अधिक कच्चे माल का संग्रहण करती है जिस पर अधिक लागत व्यय होता है ।

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भारत में स्टॉक 3-4 महीने का तथा आयतित माल का स्टॉक 9 महीने की अवधि का होता है, जबकि जापान जैसे उन्नतिशील देश में यह स्ट्राक कम-से-कम कुछ चन्द घण्टों के लिए या अधिक-से- अधिक 2 सप्ताह के लिए रखा जाता है । कुछ कम्पनियों में, जिनकी आपूर्ति अधिक संवेदनशील है, आपूर्ति पर अधिक बल दिया जाता है ।

(b) आपूर्तिकर्ता के व्यवहार में परिवर्तन से भी कम्पनी का कार्य प्रभावित होता है ।

(c) एक ही आपूर्तिकर्ता पर निर्भर रहना जोखिमपूर्ण हो सकता है क्योंकि तालाबन्दी या हड़तालें आदि होने के कारण कम्पनी को कच्चे माल की आपूर्ति बन्द हो सकती है ।

(d) आपूर्ति प्रबन्ध (Supply Management):

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अभाव के वातावरण में आपूर्तिकर्ता की प्राप्त करने के लिए कम्पनी अपने एजेण्ट द्वारा विभिन्न उपाय करती है ।

Essay # 2. ग्राहक (Customers):

विशिष्ट पर्यावरण में ग्राहकों का प्रत्यक्ष प्रभाव होता है । एक कम्पनी में कई प्रकार के ग्राहक हो सकते हैं, जैसे – फुटकर ग्राहक, थोक ग्राहक, औद्योगिक ग्राहक, सरकारी निकाय ग्राहक, विदेशी ग्राहक आदि ।

किसी एक ग्राहक वर्ग पर निर्भर करना जोखिमपूर्ण होता है । इससे कम्पनी की विपणन शक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । अतः कम्पनी के पास विभिन्न प्रकार के ग्राहक होने चाहिये ।

व्यवसाय की सफलता के लिये कम्पनी को यह जानना भी अनिवार्य है कि ग्राहक क्या चाहते हैं और किस प्रकार की वस्तुओं की ओर रुझान हो रहा है । वस्तुतः उपभोक्ता स्वीकृति एक बड़ी चुनौती बन गयी है क्योंकि व्यवसाय वातावरण में गैर-आर्थिक कारण, जैसे कि प्रवृत्तियों, इच्छाओं तथा लोगों की आशाओं के कारण उपभोक्ता व्यवहार पर बहुत प्रभाव पड़ता है ।

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ग्राहक वर्ग का निर्माण करते हुये अनेक तत्वों को ध्यान में रखना आवश्यक है, जैसे – लाभप्रदता (Profitability), निर्भरता, माँग की स्थिरता, विकास की सम्भावनाएँ, प्रतियोगिता की सीमा आदि । वैश्वीकरण (Globalisation) के बढ़ने से उपभोक्ता-सन्तुष्टि का कार्य बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है ।

Essay # 3. प्रतिद्वन्द्वी (Competitors):

प्रतिद्वन्द्वी भी व्यवसाय संचालन के लिये महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं । प्रतियोगियों के व्यवहार के अनुरूपक व्यवसायकर्ता को अपनी अनेक गतिविधियों का संचालन करना पड़ता है तथा उनमें परिवर्तन लाने पड़ते हैं ।

प्रतिस्पर्द्धा निम्न प्रकार की हो सकती है:

(a) इच्छाओं की प्रतिस्पर्द्धा (Desire Competition):

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इस प्रकार की प्रतिस्पर्द्धा का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की मूल इच्छाओं को प्रभावित करना होता है । इस प्रकार की इच्छा प्रतिस्पर्द्धा प्रायः उन देशों में पायी जाती है जहाँ उपभोक्ता की आय कम होती है और साथ ही अनेक अतृप्त इच्छाएँ भी होती हैं ।

(b) जनन प्रतिस्पर्द्धा (Genetic Competition):

जब इच्छाओं के विकल्पों में प्रतियोगिता होती है तो जिस श्रेणी की इच्छाओं को सन्तुष्ट किया जाता है, उन्हें जनन प्रतिस्पर्द्धा कहते हैं । अधिक स्पष्ट शब्दों में, वैकल्पिक वस्तुओं में आपसी प्रतिस्पर्द्धा किसी विशेष प्रकार की इच्छा को सन्तुष्ट करने वाली प्रतिस्पर्द्धा को जनन प्रतिस्पर्द्धा कहते हैं ।

(c) उत्पादक स्वरूप प्रतिस्पर्द्धा (Product Form Competition):

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इस प्रकार की प्रतिस्पर्द्धा में उपभोक्ता को उत्पादन के विभिन्न स्वरूपों में चुनाव करना पड़ता है, उदाहरण के लिये, उपभोक्ता को टी. वी. की आवश्यकता है तो अगला प्रश्न यह उठता है कि वह किस प्रकार की टी. वी. लेने का इच्छुक है, जैसे – ब्लैक एण्ड ह्वाइट अथवा कलर टी. वी. आदि ।

(d) ब्राण्ड प्रतिस्पर्द्धा (Brand Competition):

अन्त में उपभोक्ता को ब्राण्ड प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है । एक ही उत्पादन के अनेक ब्राण्डों में प्रतिस्पर्द्धा होती है । उदाहरण के लिए, उपभोक्ता कलर टी. वी. खरीदने का निश्चय करता है तो अगला प्रश्न यह उठता है कि वह कौन सी ब्राण्ड की टी. वी. खरीदे, जैसे – वीडियोकोन, बी. पी. एल. इत्यादि ।

Essay # 4. विपणन मध्यस्थ (Marketing Intermediaries):

अन्तिम उपभोक्ता तथा कम्पनी के महत्वपूर्ण सम्पर्क होते हैं । इस सम्पर्क का उचित चयन न होने पर कम्पनी को बहुत हानि होती है । अतः कम्पनी के नजदीकी पर्यावरण में विपणन मध्यस्थों का महत्वपूर्ण स्थान है । विपणन मध्यस्थों में वे फर्में होती हैं जो कम्पनी की वस्तुओं के वितरण, विक्रय तथा प्रवर्तन में सहायक होती हैं ।

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विपणन मध्यस्थों के अन्तर्गत निम्नलिखत बिन्दु शामिल होते हैं:

(a) मध्यस्थ (Middlemen):

एजेण्ट और व्यापारी मध्यस्थ होते हैं । यह ग्राहक ढूँढने तथा उनके साथ भाव तय करने में सहयोगी होते हैं ।

(b) वितरण फर्म (Physical Distribution Firms):

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इसमें भण्डारगृह तथा ट्रांसपोर्ट फर्में शामिल हैं जो कम्पनी के माल को स्टॉक करने तथा उन्हें उनके मूल स्थान से अन्य स्थानों पर स्थानान्तरित करने में सहायता देती हैं ।

(c) विपणन सर्विस एजेन्सियाँ (Marketing Saving Agencies):

इसमें विपणन एजेन्सी, मीडिया फर्में कांउसलिंग फर्में, विपणन शोधन फर्में आदि को सम्मिलित किया जाता है । ये सभी एजेन्सियाँ कम्पनी के विक्रय को बढ़ाने में सहयोगी होती हैं ।

(d) वित्तीय मध्यस्थ (Financial Intermediaries):

ये वे कम्पनी अथवा संस्थान हैं जो बाजार सम्बन्धी गतिविधियों के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते हैं अथवा व्यवसाय के जोखिम की बीमा करते हैं ।

विपणन मध्यस्थ कम्पनी तथा उपभोक्ता के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है । इस कड़ी में किसी प्रकार की रुकावट तथा त्रुटि से कम्पनी को हानि का सामना करना पड़ सकता है ।

Essay # 5. जनता (Public):

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कम्पनी के पर्यावरण में जनता भी सम्मिलित है ।

जनता के प्रमुख उदाहरण हैं:

i. पब्लिक मीडिया

ii. स्थानीय जनता (Local Public) तथा

iii. अन्य जनता ।

मीडिया पब्लिक किसी भी व्यवसाय को बहुत अधिक प्रभावित करती है । इनके द्वारा व्यवसाय से सम्बन्धित उपयोगी व महत्वपूर्ण सूचना को प्रकाशित किया जा सकता है । कभी-कभी मीडिया की प्रतिष्ठा के विपरीत खबरें छापकर उसे नुकसान भी पहुँचा सकती है ।

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बहुत-सी कम्पनियाँ स्थानीय जनता से प्रभावित होती हैं । पर्यावरण प्रदूषण के विरुद्ध आन्दोलन स्थानीय जनता द्वारा चलाये जाते हैं । जिसके फलस्वरूप कम्पनियों को अपने व्यवसाय की नीति, उत्पादन प्रक्रिया तथा अन्य कार्यों को या तो परिवर्तित करना पड़ता है या रोक देना पड़ता है तथा प्रदूषण से रक्षा के लिए विभिन्न कदम उठाने पड़ते हैं ।

सभी स्थानीय ‘जनता’ के व्यवसाय को खतरा बना रहता है । एक ओर कुछ ‘जनता’ वर्ग कम्पनी के लिए समस्याएँ उत्पन्न करते हैं तो दूसरी ओर, कुछ जनता कम्पनी के लिए सुअवसर प्रदान करती है । समाचार-पत्रों के माध्यम से कम्पनी आवश्यक सूचनाओं को उपभोक्ताओं तक पहुँचाकर अपनी वस्तुओं के लिए समर्थन (Support) प्राप्त करती है । यह वर्ग कम्पनी तथा समाज के बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य करता है ।

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