Read this article in Hindi to learn about various types of plans used in an organisation.

योजनाएँ निम्न प्रकार की हो सकती हैं:

अब हम उपरोक्त रेखाचित्र के आधार पर योजनाओं के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करेंगे:

1. अवधि के आधार पर (On the Basis of Time):

ये योजनाएं दो प्रकार की होती है:

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(i) दीर्घकालीन योजना (Long Term Plans):

दीर्घकालीन योजना वह योजना होती है जो लम्बे समय के लिए बनाई जाती है यह कम-से-कम पाँच वर्ष की होती है । परन्तु यह दस, पन्द्रह और बीस वर्ष के लिए भी बनाई जाती है उच्च प्रबन्धकों को यह योजना बनाते समय संस्था के दीर्घकालीन उद्देश्यों को ध्यान में रखना होता है ।

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(ii) अल्पकालीन योजनाएँ (Short Term Plans):

ये योजनाएं छोटी अवधि के लिए बनाई जाती है और उद्देश्य के पूरा होते ही इनका महत्व समाप्त हो जाता है ये योजनाएं दैनिक साप्ताहिक पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक अथवा वार्षिक हो सकती हैं । ये योजनाएँ तत्कालीन समस्याओं का समाधान करने के लिए बनाई जाती है ।

कूण्ट्ज एवं ओ’ डोनेल के अनुसार- “कोई भी अल्पकालीन योजना नहीं बनाई जानी चाहिए यदि वह सम्बन्धित दीर्घकालीन योजना को प्राप्त करनें में अपना योगदान नहीं देती । नियोजन की बहुत-सी बर्बादियाँ इसलिए होती हैं कि तत्कालीन परिस्थितियों पर निर्णय किया जाता है और अधिक दूरगामी उद्देश्यों पर उनके प्रभाव पर ध्यान नहीं दिया जाता ।”

अल्पकालीन योजनाएँ मध्यस्तरीय तथा निम्नस्तरीय प्रबन्धकों द्वारा बनाई जाती हैं । अल्पकालीन योजनाएँ सदैव दीर्घकालीन योजनाओं को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए ।

2. प्रबन्ध के स्तर के आधार पर (On the Basis of Levels of Management):

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ये योजनाएँ तीन प्रकार की होती हैं:

(i) उच्चस्तरीय योजनाएँ (Top Management Plans):

ये उच्चस्तरीय प्रबन्धकों द्वारा बनाई जाती हैं । इसमें सम्पूर्ण संस्था के उद्देश्य, नीतियाँ व बजट आदि तैयार करना शामिल होते हैं ।

(ii) मध्यस्तरीय योजनाएँ (Middle Level Plans):

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ये मध्यस्तरीय प्रबन्धकों द्वारा बनाई जाती हैं । ये योजनाएँ विभिन्न विभागों के अध्यक्षों द्वारा बनाई गई योजनाएँ होती हैं; जैसे: विक्रय प्रबन्धक, वित्त प्रबन्धक, उत्पादन प्रबन्धक आदि द्वारा बनाई योजनाएँ । ये योजनाएं-संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति को सम्भव बनाने के लिए बनाई जाती हैं । इन्हें कार्यकारी अथवा विभागीय योजनाएँ भी कहते हैं ।

(iii) निम्नस्तरीय योजनाएँ (Lower Level Management Plans):

ये योजनाएँ पर्यवेक्षकों (Supervisors) द्वारा बनाई जाती हैं । इनका मुख्य उद्देश्य संस्था के कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले दैनिक कार्यों से होता है ।

3. उपयोग के आधार पर (On the Basis of Use):

ये योजनाएँ दो प्रकार की होती हैं:

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(i) स्थायी या निरन्तर उपयोग की योजनाएँ (Standing or Repeated Use Plans);

(ii) विशेष या एक बार उपयोग की योजनाएँ (Special or Single Use Plans) ।

(i) स्थायी या निरन्तर उपयोग की योजनाएँ (Standing or Repeated Use Plans):

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योजनाएँ उच्च प्रबन्धकों द्वारा भिन्न-भिन्न स्तरों पर काम करने वाले अधीनस्थों के मार्ग-दर्शन के लिए स्थायी तौर पर तथा बार-बार काम में लाने के लिए बनाई जाती हैं । ये योजनाएँ प्रबन्धकों का निरन्तर मार्गदर्शन करती रहती हैं तथा इनको जरूरत पड़ने पर बार-बार उपयोग में लाया जाता है ।

(ii) विशेष या एक बार उपयोग की योजनाएँ (Special or Single Use Plans):

ये योजनाएँ विशेष परिस्थिति के समाधान के लिए बनाई जाती हैं । जैसे ही वह परिस्थिति समाप्त होती है योजना भी समाप्त हो जाती है । इन योजनाओं का एक बार उपयोग हो जाने के बाद उनका कोई महत्व नहीं रह जाता । ये योजनाएँ किसी बड़ी योजना की सहायक योजना होती हैं ।

अब हम बार-बार उपयोग की योजनाओं (Repeated Use Plans) तथा एक बार उपयोग की योजनाओं (Single use Plans) का विस्तार से वर्णन करते हैं ।

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