Read this article in Hindi to learn about the qualities of a good letter writer.

पुराने ग्राहक को बनाये रखाना एवं नये-नये ग्राहकों का सृजन करना बहुत कुछ पत्र लेखन कला पर निर्भर करता है यही कारण है कि पत्रों को लिखने के लिए कुशल विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है एक अच्छे पत्र लेखक में, यह जरूरी नहीं कि पत्र लेखन की प्रतिभा जन्मजात हो, अपितु इसे निरन्तर अभ्यास, सामान्य ज्ञान व अनुभव से भी अर्जित किया जा सकता है ।

एक अच्छे पत्र लेखक की महत्ता का वर्णन करते हुए श्री फ्रेली ने लिखा है- “यह व्यक्ति जो ग्राहकों से मैत्रीपूर्ण और प्रभावी ढंग से कागज पर बातचीत कर सकता है, कम्पनी के लिए अत्यन्त मूल्यवान् समझा जाएगा और उसकी निरन्तर प्रगति होती रहेगी ।”

एक श्रेष्ठ पत्र लेखक को पत्र-लेखन की कला में दक्षता प्राप्त करने के लिए निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए:

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(i) भाषा का पूर्ण ज्ञान (Command on Language)- पत्र लेखक को भाषा का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए जिससे कि वह अपनी बात को व्यक्त करने के लिए उपयुक्त एवं प्रभावशाली शब्दों का उपयोग का सके ।

(ii) व्याकरण का पूर्ण ज्ञान (Command on Grammar)- उसे भाषा के व्याकरण के नियमों से पूर्ण परिचित होना चाहिए ।

(iii) विस्तृत शब्द भण्डार (Vast Vocabulary)- उसे उस भाषा के शब्द भण्डार का भी अत्यन्त विस्तृत ज्ञान होना चाहिए ।

(iv) व्यापारिक विषय का पाण्डित्य (Expert in Matter of Business)- उसे जिस वस्तु के व्यापार से सम्बन्धित पत्र-व्यवहार करना है, उस वस्तु के विषय में सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए ।

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(v) व्यापार सम्बन्धी अनुभव (Experience in Business)- जिस व्यापार से सम्बन्धी पत्र-व्यवहार करना है, उस व्यापार का कार्यशील अनुभव जितनी अधिक लम्बी अवधि का होगा, उतना ही प्रभावशाली एवं विश्वसनीय पत्र लिखा जा सकेगा ।

(vi) संसार की घटनाओं का ज्ञान (Knowledge of World Events)- उत्तम लेखक के लिए संसार में दिन-प्रतिदिन होने वाली साधारण घटनाओं का ज्ञान होना आवश्यक है क्योंकि इन घटनाओं का ज्ञान न होने से विचार संकुचित, अधूरे एवं अव्यावहारिक होंगे तथा अस्पष्टता की झलक दिखाई देगी ।

(vii) लेखन शैली (Way of Presentation)- लेखन शैली पत्र मैं जान डाल देती है । अच्छी शैली विचारों की तारतम्यताके साथ, बिजली दौड़ा देने वाली प्रभावपूर्ण ओजस्वी व्यक्तित्व की छाप डालकर, वशीकरण मन्त्र का काम करती है ।

(viii) व्यावहारिक ज्ञान (Knowledge of Etiquette)- जिस देश के साथ पत्र-व्यवहार करना है, उस देश की प्रचलित शिष्टाचार का व्यावहारिक ज्ञान पूर्ण रूप से होना चाहिए जिसमें पत्र में अभिवादन व अन्तिम प्रशसात्मक वाक्य आदि का उचित प्रयोग किया जा सके ।

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(ix) आदर्श व्यवहार (Ideal Attitude)- पत्र लेखक का व्यवहार आदर्श होना चाहिए एवं उसकी लेखनी में छल-कपट, धोखेवाजी एवं बेईमानी नहीं होनी चाहिए ।

(x) पाठकों के प्रति उदार व्यवहार (Soft Attitude towards Learners)- पत्र लेखन को पत्र वालों के प्रति उदार होना चाहिए जिससे कि उनको नाराजगी के समय भी अपने साथ रखने में वह समर्थ हो सके ।

(xi) संस्था की वस्तुओं के बारे में पूर्ण ज्ञान (Complete Knowledge about Trade Productions)- पत्र लेखक को जिस संस्था के लिए वह काम कर रहा है, उसके द्वारा निर्मित की जाने वानी वस्तुओं का भी पूर्ण ज्ञान होना चाहिए ताकि वह उसी आधार पर उनके बारे में ग्राहकों को अवगत करा सके ।

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