The following article will guide you about how to make collective bargaining successful in industries.  

सामूहिक सौदेबाजी प्रणाली औद्योगिक जगत में व्याप्त प्रत्येक वातावरण में लागू नहीं की जा सकती है । यह एक ऐसा पौधा है जिसको लगाने के लिए पहले से श्रमिकों और सेवायोजकों के बीच अच्छा तथा मानवीय वातावरण बनाना होता है, अन्यथा यह सामूहिक सौदेबाजी वाला पौधा मुरझा जायेगा ।

इसलिए निम्न शर्तों का होना आवश्यक है:

(1) प्रबन्धकों में प्रगतिशील तथा उदार दृष्टिकोण का होना ।

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(2) दोनों पक्षों में (श्रम और सेवायोजक) ‘दो और लो’ की भावना का होना अनिवार्य है ।

(3) मूल उद्देश्यों के बारे में सहमति होनी चाहिए ।

(4) दोनो पक्ष अपने आपको उत्पादन क्रिया में बराबर का हिस्सेदार समझते हो ।

(5) तथ्यों की खोजबीन, निष्पक्ष जाँच करने में विश्वास तथा औद्योगिक विवादों के समाधान के लिए नये प्रगतिशील साधनों को प्रयोग में लाने की इच्छा ।

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(6) श्रम संघों का शक्तिशाली होना तथा उनमें उत्तरदायित्व की भावना होनी चाहिए ।

(7) दोनों पक्षों की वैधानिक उपायों के प्रयोग में आस्था होनी चाहिए ।

”सामूहिक सौदेबाजी केवल शान्तिपूर्ण, उदार, मित्रता वाले वातावरण में पनप सकती है । दोनों पक्षों में सामूहिक सौदेबाजी के ढंग को अपनाने के लिए जिज्ञासा होनी चाहिए और समझौता करने के बाद परस्पर मित्रता की भावना होनी चाहिए ।”

सामूहिक सौदेबाजी का महत्व (Importance of Collective Bargaining):

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सामूहिक सौदेबाजी एक ऐसा वरदान है, जिससे सम्पूर्ण राष्ट्र लाभान्वित होता है । यह एक शान्तिप्रिय श्रमिक और सेवायोजकों का सहारा है, जिसके द्वारा देश के औद्योगिक जगत में विध्वंसकारी हथियारों का प्रयोग न होकर औद्योगिक लोकतन्त्र की स्थापना की जाती है ।

इसके महत्व का अध्ययन हम निम्नलिखित चार भागों में कर सकते हैं:

(1) श्रमिकों के लिए महत्व (Importance of Workers):

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एक श्रमिक में व्यक्तिगत रूप से शक्तिशाली प्रबन्धकों/सेवायोजकों के साथ अनुक्रम या समझौता करने की शक्ति बहुत कम होती है, लेकिन वह सामूहिक रूप से नियोक्ताओं से अपनी माँगे पूरी करवा सकता है । यही नहीं, वह सामूहिक रूप से अपने को शक्तिशाली अनुभव करता है ।

(2) श्रम संघों के लिए महत्व (Importance to Trade Unions):

श्रम संघों को बनाये रखने के लिए तथा उन्हें अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सामूहिक सौदेबाजी सहयोग प्रदान करती है । जैसे सामूहिक सौदेबाजी प्रबन्धकों या नियोक्ता वर्ग को एकतरफा निर्णय लेने से रोकती है, तथा नियोक्ताओं को श्रमिकों के लिए अच्छी कार्य की दशाएँ, उचित मजदूरी की दर, महँगाई भत्ता, बोनस, ग्रेव्यूटी, भविष्य-निधि, सवेतन अवकाश, श्रमिकों की योग्यता का मूल्यांकन आदि करने को बाध्य करती है । इससे श्रमिकों का श्रम संघों के प्रति विश्वास जागृत होता है ।

(3) सेवायोजकों को लाभ (Advantages to Employers):

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अनेक श्रम संधों की आपसी नासमझी या मन-मुटाव के कारण छोटी-सी बात बड़ा रूप धारण कर लेती है । परिणामस्वरूप अपार हानि होती है । इसके विपरीत सामूहिक सौदेबाजी औद्योगिक शान्ति स्थापित करती है । दोनों पक्ष उदार नीति अपनाते हैं ।

दो और लो (Give and Take) की नीति पर काम करते हैं । मूल उद्देश्यों के बारे में दोनों की सहमति होती है । यही नहीं दोनों पक्ष (श्रमिक और सेवायोजक) अपने आपको उत्पादन प्रक्रिया में बराबर का साझेदार समझते हैं ।

परिणामस्वरूप औद्योगिक शान्ति, उत्पादन की मात्रा में वृद्धि, उत्पादन की किस्म में सुधार तथा न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन सम्भव होता है । यही सेवायोजक श्रमिक से चाहता है ।

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(4) राष्ट्र के लिए महत्व (Importance to Nation):

सामूहिक सौदेबाजी द्वारा औद्योगिक वातावरण शान्त हो जाता है । श्रमिकों की हड़ताल, तालाबन्दी, तोड़-फोड़ जैसी सभी असामाजिक क्रियाएँ समाप्त हो जाती है । परिणामस्वरूप चारों तरफ अमन शान्ति होती है । देश में औद्योगिक उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि होती है, और राष्ट्र समृद्धि के मार्ग पर स्वयं चलने लगता है ।

निम्न अन्य अनेक कारणों से सामूहिक सौदेबाजी ठहराव महत्वपूर्ण होता है:

(1) यह उनकी सेवा शर्तों के नियन्त्रण हेतु एक विधि की व्यवस्था करती है, जो उनमें से प्रत्यक्षत: सम्बन्धित होते हैं ।

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(2) यह उद्योग में रुग्णता की समस्या का समाधान प्रदान करती है, तथा वृद्धावस्था पेंशन लाभों तथा अन्य अनुलाभों का आश्वासन देती है ।

(3) यह जब भी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, उनके समाधान के लिए नई तथा विविध प्रक्रियाओं का सृजन करती है- ऐसी समस्याएँ हैं, जो औद्योगिक सम्बन्धों से जुड़ी हैं, तथा इसके स्वरूप को नई परिस्थितियों से निपटने के लिए समायोजित किया जा सकता है ।

चूंकि मूल मानदण्ड स्थापित किये जाते हैं, अत: कर्मचारी को जो उसी प्रकार के उद्योग में लगे हैं, आश्वासन मिल जाता है कि उसको ठहराव मे शामिल निर्दिष्ट परिस्थितियों के अन्तर्गत काम करना होगा तथा सेवायोजक को उनके द्वारा अनुचित प्रतिस्पर्द्धा से संरक्षण दिया जाता है ।

(4) यह उद्योग में आर्थिक तथा प्रौद्योगिकी परिवर्तनों के प्रति मजदूरी तथा रोजगार की परिस्थितियों के समायोजन हेतु एक लोचदार माध्यम की व्यवस्था करती है, जिसके फलस्वरूप टकराव के अवसर कम हो जाते हैं ।

(5) औद्योगिक शान्ति के एक वाहक के रूप में सामूहिक सौदेबाजी के समान कोई भी नहीं है । यह श्रम-प्रबन्ध सम्बन्धों का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण तथा सम्पूण पहलू है, तथा राजनीतिक क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र तक प्रजातंत्र के सिद्धान्तों का विस्तार मात्र है ।

(6) यह उद्योग में नागरिक अधिकार प्रारम्भ करके औद्योगिक न्यायक्षेत्र के तंत्र का निर्माण करता है । दूसरे शब्दों में यह सुनिश्चित करता है, कि प्रबन्ध को मनमाने निर्णयों से नहीं वरन् नियमानुसार चलाया जाता है ।

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प्रो. डनलप का मत है कि सामूहिक सौदेबाजी:

(1) एक तंत्र (System) जो अनेक नियमों की स्थापना, संशोधन तथा प्रशासन करता है, जो श्रमिक के काम के स्थान का संचालन करते हैं ।

(2) एक प्रक्रिया (Procedure) की क्षतिपूर्ति की मात्रा का निर्धारण करती है, जिसे कर्मचारियों को प्राप्त करना चाहिए तथा जो आर्थिक बीमारियों के वितरण को प्रभावित करता है; तथा

(3) किसी ठहराव की अवधि के दौरान तथा उसके बीतने के बाद, निर्धारण करने की तथा विवादों के निपटान की एक विधि (method) है, कि क्या एक विवाद को फिर से खोला जाना चाहिए तथा क्या एक हड़ताल या तालेबन्दी का सहारा लिया जाना चाहिए या नहीं ।