Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning of Fringe Benefits 2. Objects of Fringe Benefits 3. Examples 4. Principles 5. The Future.

Contents:

  1. अनुषंगी लाभ का अर्थ (Meaning of Fringe Benefits)
  2. अनुषंगी लाभों के उद्देश्य (Objects of Fringe Benefits)
  3. अनुषंगी के उदाहरण (Examples of Fringes)
  4. अनुषंगी लाभों के सिद्धान्त (Principles of Fringes)
  5. अनुषंगी लाभों का भविष्य (The Future of Fringe Benefits)


1. अनुषंगी लाभ का अर्थ (Meaning of Fringe Benefits):

किसी उद्योग में कर्मचारियों को उनके नियमित वेतन के अतिरिक्त दिये जाने वाले लाभ अनुषंगी लाभ कहलाते हैं । अनुषंगी लाभ-बीमा, वेतन सहित बीमारी की छुट्टियाँ, पेन्शन, समयोत्तर भुगतान एवं अन्य लाभ, श्रम के पारिश्रमिक का मुख्य भाग होता है ।

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सन् 1940 से यह शब्द अधिक व्यापक हो गया है । एक अध्ययन के अनुसार किसी फर्म की कुल श्रम-लागत का एक-तिहाई हिस्सा अनुषंगी लाभों की लागत होती है । ये अनुषंगी लाभ श्रमिकों को परम्परागत प्रत्यक्ष मजदूरी भुगतानों के अतिरिक्त प्रदान किये जाते हैं ।

इन अनुषंगी लाभों में अनेक प्रकार की सुविधाओं जो श्रमिकों को दी जाती हैं, सम्मिलित की जाती हैं । यहाँ यह ध्यान रखने योग्य बात है कि इस लाभों के लिए कर्मचारियों को अपने वेतन में से कुछ भी व्यय नहीं करना होता है । ये तो उनके वेतन की पूर्ति करते हैं ।

इस प्रकार अनुषंगी लाभों में अनेक तरह के भुगतानों को सम्मिलित किया जाता है चाहे ये भुगतान वैयक्तिक हों या सामूहिक, तात्कालिक हों या दीर्घकालीन एवं वित्तीय हों । इसमें मुफ्त चिकित्सा सुविधा, शिक्षा एवं मनोरंजन की व्यवस्था, बिजली की सुविधा पानी की सुविधा, निशुल्क आवास एवं यातायात की सुविधा आदि प्रमुख है ।

अनुषंगी लाभों से यह नहीं कहा जा सकता कि इनकी व्यवस्था होने से श्रमिकों की कार्य क्षमता अवश्य ही बढ़ जाएगी परन्तु यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है इनके श्रमिक सन्तुष्ट रहते हैं ।

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भारत के नियोजक वर्ग संगठन के अनुसार- ”अनुषंगी लाभों में कार्य नहीं किये गये समय के लिए भुगतान, लाभ और अन्य अधिलाभांश, वैधानिक आधार पर आवश्यक भुगतान जैसे सामाजिक सुरक्षा योजनायें, कार्य करने वाले व्यक्तियों का क्षतिपूरण, कल्याण सहायता आदि तथा ऐसी स्वैच्छिक योजनाओं जैसे सेवानिवृत्ति के उपरान्त लाभ, चिकित्सा, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और कार्य करने वाले व्यक्तियों की मनोरंजनात्मक आवश्यकताओं आदि के सम्बन्ध में सेवानियोजकों द्वारा दिया गया अंशदान सम्मिलित किया जाता है । इस शब्द में मुद्रा-तुल्य लाभ जैसे नि:शुल्क बिजली, पानी, ईंधन आदि सुविधायें जो कर्मचारियों को दी जाती हैं और सस्ती दर पर आवास एवं सम्बन्धित सुविधायें भी सम्मिलित की जाती हैं ।”

संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय औद्योगिक सम्मेलन मण्डल के अनुसार- “अनुषंगी लाभों में – (i) किये गये कार्य के समय के लिए अतिरिक्त भुगतान समयोत्तर पारी अन्तर, छुट्टी के दिन वेतन आदि, (ii) कार्य नहीं किये गये समय के लिए भुगतान, (iii) कर्मचारी-सुरक्षा के लिए भुगतान और (iv) कर्मचारी सेवाओं के लिए भुगतान सम्मिलित हैं ।”

उपयुक्त-वर्णित परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात यह कहा जा सकता है कि अनुषंगी लाभों में अनेक भुगतानों सेवाओं एवं कल्याणकारी योजनाओं को सम्मिलित किया जाता है जो कर्मचारियों के वेतन की पूर्ति करते हैं और जिनके लिए कर्मचारियों को कुछ भी व्यय नहीं करना पड़ता है ।

इस प्रकार के लाभों से कर्मचारियों की कार्यक्षमता जीवन स्तर और मनोबल में वृद्धि होती है तथा औद्योगिक जगत में शान्ति की स्थापना होती है ।

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2. अनुषंगी लाभों के उद्देश्य (Objects of Fringe Benefits):

सामान्यत: अनुषंगी लाभ कार्यक्रम उद्योग की देय क्षमता और श्रम-शक्ति पर निर्भर करते हैं । नाइलसन (Nielson) का मत है कि अनुषंगी लाभ कार्यक्रमों का निर्धारण अनेक घटकों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए ।

उनके अनुसार इन घटकों में लागत भुगतान क्षमता, कर्मचारियों की आवश्यकतायें, श्रम संघों की सौदाकारी शक्ति, विभिन्न कर, जन-सम्पर्क, सामाजिक उत्तरदायित्व तथा कर्मचारियों की प्रतिक्रियायें आदि प्रमुख हैं ।

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इस प्रकार के कार्यक्रम निम्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लागू किये जाते हैं:

(1) अपनी संस्था में कार्य करने वाले कर्मचारियों को अन्य उद्योगों या स्थानीय बाजार में उपलब्ध सेवाओं या लाभ के समान लाभान्वित करना और सेवायें उपलब्ध करना ।

(2) अनुषंगी लाभ कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की आय में वृद्धि करना है ।

(3) कार्य पर योग्य, अनुभवी एवं परिश्रमी व्यक्तियों की नियुक्ति करना और उन्हें प्रशिक्षण आदि की सुविधायें उपलब्ध करना ।

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(4) विभिन्न प्रकार की श्रम सभाओं और सम्मेलनों में हिस्सा लेने में होने वाले खर्चों में सहायता पहुँचना ।

(5) कर्मचारियों को आवश्यक छुट्टियाँ प्रदान करना तथा उनकी सामाजिक एवं धार्मिक भावनाओं का आदर करके उनके मनोबल में वृद्धि करना और उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाना ।

(6) कर्मचारियों द्वारा असहनीय जोखिमों को वहन करना और उनके हितों की रक्षा करना ।

(7) कर्मचारियों की आर्थिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनेक तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करना ।

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(8) उपभोक्ता, समुदाय एवं जनता में संस्था की प्रतिष्ठा और संस्था की प्रति अच्छी विचाराधारा बनाये रखने में भी ये कार्यक्रम उपयोगी सिद्ध होते हैं ।

(9) कर्मचारियों की आय में वृद्धि के साथ-साथ उन्हें व्यक्तिगत और सामाजिक सन्तुष्टि प्रदान करना ।

(10) उत्पादन की मात्रा में वृद्धि करना और औद्योगिक शान्ति को बनाये रखना ।


3. अनुषंगी के उदाहरण (Examples of Fringes):

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(1) वैधानिक तौर पर अपेक्षित भुगतान (Legally Required Payment):

(a) वृद्धावस्था लाभ [Old Age, Survivors, Disability and Health Insurance (Commonly Known as Social Security)],

(b) श्रमिक क्षतिपूर्ति (Worker’s Compensation),

(c) बेरोजगारी क्षतिपूर्ति (Unemployment Compensation) ।

(2) आकस्मिक तथा स्थगन लाभ (Contingent and Deferred Benefits):

(i) पेंशन योजनाएं,

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(ii) ग्रुप जीवन बीमा,

(iii) ग्रुप स्वास्थ्य बीमा:

(a) चिकित्सा व्यय (Hospitalisation and Surgical),

(b) अपंगता आय (अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन) ।

(iv) गारन्टीशुदा वार्षिक वेतन,

(v) पूर्वदत्त वैधानिक योजनाएँ (Prepaid Legal Plans),

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(vi) सवेतन अवकाश,

(vii) कर्त्तव्य अवकाश (Jury Duty and Bereavement Paid Leave),

(viii) मातृत्व अवकाश (Maternity Leave),

(ix) शिशु सुरक्षा अवकाश (Child Care Leave),

(x) रूग्णता अवकाश (Sick Leave),

(xi) दाँत सम्बन्धी लाभ (Dental Benefits),

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(xii) अध्ययन सहायता लाभ (Tuition Aid Benefits),

(xiii) सुझाव पुरस्कार (Suggestion Awards),

(xiv) सेवा पुरस्कार (Service Award),

(xv) अलगाव वेतन (Severance Pay) ।

(3) काम न किये गये समय का वेतन (Payments for Time not Worked):

(i) Vacations,

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(ii) Holidays,

(iii) Voting Pay Allowances ।

(4) अन्य लाभ (Other Benefits):

(i) यात्रा भत्ता (Travel Allowances),

(ii) कम्पनी कार तथा अनुदान (Company Car and Subsidies),

(iii) आवागमन व्यय (Moving Expense),

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(iv) वेशभूषा तथा उपकरण व्यय (Uniform and Tool Expenses),

(v) भोजन भत्ता (Employee Meal Allowances),

(vi) वस्तुओं तथा सेवाओं पर बट्टा (Discounts on Employer’s Goods and Services),

(vii) शिशु सहायता सुविधाएँ (Child Care Facilities) ।


4. अनुषंगी लाभों के सिद्धान्त (Principles of Fringes):

निम्न सिद्धान्त अनुषंगी लाभों के प्रशासन का संचालन करते हैं:

(1) ऐसे लाभ तथा सेवाओं को कर्मचारियों को उनकी खुशहाली के संरक्षण तथा रखरखाव के लिए दिया जाना चाहिये । प्रबन्ध को यह नहीं अनुभव करना चाहिये कि यह उन पर बोझ है । न ही प्रबन्ध को ऐसा महसूस करना चाहिये कि वे इन लाभों को दान के तौर पर दे रहे हैं ।

(2) लाभों से उनकी वास्तविक आवश्यकता संतुष्ट होनी चाहिये । कर्मचारी ऐसे लाभों का विरोध करते हैं या तटस्थता दिखाते हैं जिनको वे पसन्द नहीं करते ।

(3) लाभ लागत-प्रभावी (Cost-Effective) होने चाहिए ।

(4) वे जहाँ तक सम्भव हों व्यापक-आधारित (Broad-Based) होने चाहिये ।

(5) ऐसे लाभों का प्रशासन सम्पूर्ण नियोजन की पूर्व शर्त पर होना चाहिये ।

(6) कर्मचारियों की इच्छाएँ जो उनके यूनियन प्रतिनिधियों द्वारा व्यक्त की जाती हैं तथा यूनियन की सौदेबाजी शक्ति पर विचार किया जाना चाहिये ।

(7) कर्मचारियों को लाभों का उपयोग करने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिये ।


5. अनुषंगी लाभों का भविष्य (The Future of Fringe Benefits):

विद्यमान लाभ पैकेजों को ऐसी योजनाओं से विगत वर्षों में प्रतिपादित किया जा चुका है जो श्रमिकों की मूल आवश्यकताओं को सम्बोधित करती है तथा व्यक्तियों को न्यूनतम लाभों की व्यवस्था करती हैं ।

आज हम बढ़ी हुई लोच के साथ योजनाओं के अधिक जटिल पैटर्न को देखते हैं जो व्यक्तियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यवस्थित हैं तथा सार्वजानिक एवं निजी क्षेत्र के संगठनों में रुपयों की दृष्टि से मँहगी जान पड़ी हैं ।

कुल मिलाकर कर्मचारी कहीं अधिक शिक्षित हैं, अधिक सुलझे हुए हैं तथा अनुलाभों सहित पारिश्रमिक के लिए कहीं अधिक लालायित हैं । अत: सेवायोजकों से अपेक्षा की जाती है कि लाभ लागतों पर दृष्टि बनाये रखते हुए ऐसी नई लाभ योजनाओं का सूत्रपात करें जो सक्षम कार्मिकों को आकृष्ट करें तथा उनको बनाये रख सके ।

नीचे कुछ ऐसी गाईडलाईन्स दी जा रही है जो इन कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध होंगी:

(1) अनुलाभ कार्यक्रमों को मानव संसाधन प्रबन्ध में एक उपादेय कॉरपोरेट तंत्र के रूप में देखा जाना चाहिये ।

(2) इस क्षेत्र में भावी नीति नियोजन को कुछ नये संदर्भ बिन्दुओं को ध्यान में लेकर चलना होगा । गैर-संघीकरण तथा चातुर्य कमियाँ आज नीति विचारों के लिए अहम नहीं रही हैं ।

(3) लाभों के किसी भी अर्थपूर्ण पैकेज को कुछ संदर्भात्मक नियोजन को प्रदर्शित करना चाहिये । लोचहीनता जड़ाव ले आती है (Inflexibility Bring Stagnation) ।

(4) पृथक् कार्यक्रम उनकी अपेक्षा कर्मचारियों को प्रत्यक्ष तौर पर लाभकारी होते हैं जो सामुदायिक कल्याण की ओर निर्देशित होते हैं उनका संयोजन उनकी लागत को बढ़ा देता है । वैसे भी श्रमिक इसको हो सकता है पसन्द न करें ।

(5) यह परामर्शनीय है कि ऐसी किसी सुविधा की बात ही न करें बनिश्वत इसके कि उसके प्रशासन में लापरवाही बरती जाये ।

(6) घटिया आन्तरिक संचार कम से कम तीन तरीकों से कार्यक्रम पर चोट करता है:

(i) अधिकारियों के कल्याण पर अधिक धन खर्च हो जाता है,

(ii) अधिक बोनस के दम पर कॉरपोरेट छवि सृजन पर अधिक धन लगता है; तथा

(iii) स्कूलों में अधिकारियों के बच्चों के प्रवेश को प्राथमिकता मिलती है । अत: आन्तरिक संचार तंत्र का प्रभावी होना नितान्त आवश्यक है ।

(7) नियोजन तथा क्रियान्वयन के सभी स्तरों पर श्रमिकों तथा उनके प्रतिनिधियों को शामिल करने के नये-नये तरीके सुझायें ।


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